बरेली: जमीन पर भी चिता बनाने की जगह नहीं, इधर-उधर भेज रहे शव

बरेली: जमीन पर भी चिता बनाने की जगह नहीं, इधर-उधर भेज रहे शव

बरेली, अमृत विचार। कोरोना संक्रमण काल में मृतकों की तादाद इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि शहर के श्मशान स्थलों पर चबूतरे के बजाय अब जमीन पर भी चिताएं बनाने के लिए जगह नहीं बची है। शाम को आने वाले शवों की अंत्येष्टि के लिए अब तो श्मशान स्थल के कर्मचारी भी हाथ खड़े करने …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना संक्रमण काल में मृतकों की तादाद इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि शहर के श्मशान स्थलों पर चबूतरे के बजाय अब जमीन पर भी चिताएं बनाने के लिए जगह नहीं बची है। शाम को आने वाले शवों की अंत्येष्टि के लिए अब तो श्मशान स्थल के कर्मचारी भी हाथ खड़े करने लगे हैं। शवों को एक से दूसरे श्मशान स्थलों पर भेजा जा रहा है।

सोमवार को सिटी श्मशान स्थल पर आए कई शवों को संजयनगर व कई दूसरे श्मशान स्थलों पर भेज दिया गया। श्मशान स्थल के कर्मचारियों का कहना है कि मेन गेट तक चिताएं बना दी गई हैं। शवों की संख्या बढ़ने से नगर निगम की ओर से बनाए गए नए चबूतरों पर भी जगह बाकी नहीं है। लोगों का कहना है कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि श्मशान स्थलों पर क्रियाकर्म के लिए ऐसे हालत पैदा हो जाएंगे।

कोरोना से मौतें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। सोमवार को सिटी श्मशान भूमि में देर शाम तक 50 शव लाए गए। इसमें करीब 15 लोगों की मृत्यु कोरोना से हुई थी। यहां श्मशान घाट पर कई हफ्तों से यही स्थिति बनी हुई थी। इस वजह से अब यहां चबूतरे के बजाय नीचे जमीन पर भी जगह बाकी नहीं है। यहां नगर निगम ने नया चबूतरा बनवाया था, वह भी कम पड़ गया। मजबूरी में शव को अंत्येष्टि के लिए संजयनगर सहित दूसरे श्मशान स्थलों पर भेजा गया।

श्मशान स्थल के कर्मचारियों का कहना है कि यहां 33 शवों की अंत्येष्टि के लिए जगह है। जबकि इससे कहीं ज्यादा शव आने से चिता बनाने के लिए जरा भी जगह बाकी नहीं रह गई है। देर शाम अंत्येष्टि के लिए जानकारी लेने आने वाले मृतकों के परिजनों को अगली सुबह आने की बात कहते हुए वापस भेज दिया गया। इस दौरान मृतक के परिजन कई बार नाराज भी हुए लेकिन उन्हें समझा बुझाकर शांत कर दिया गया।

सिटी श्मशान भूमि ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी विजय अग्रवाल ने बताया कि श्मशान स्थल पर जमीन पर भी चिताएं बनाने की जगह नहीं रह गई है। इधर संजयनगर श्मशान स्थल पर भी चारों तरफ चिताएं ही जलती दिखाई दे रही हैं। अब तो यहां भी जमीन पर भी चिताए बनाने की जगह बाकी नहीं है। सोमवार को यहां 43 शव लाए गए। इसमें 11 लोगों की मृत्यु कोरोना संक्रमण की वजह से हुई थी। यहां भी देर शाम आए मृतकों के परिजनों को शव अगले दिन लाने को कहा गया।

कर्मचारियों का कहना है कि दिनभर इतनी बड़ी संख्या में शवों की अंत्येष्टि के लिए लकड़ी व चिताओं की व्यवस्था करने में हालत पस्त हो रही है। संजयनगर श्मशान घाट के प्रबंधक भगवान स्वरूप ने बताया कि शवों की संख्या बढ़ने से श्मशान स्थल के कर्मचारी भी थकने-हारने लगे हैं और चिताओं के लिए दिनभर सैकड़ों क्विंटल लकड़ी तौलते और उठाते हुए उनकी हिम्मत जवाब देने लगी है।

नगर निगम ने शुरू की वैकल्पिक व्यवस्था
अंत्येष्टि के लिए श्मशान स्थलों पर जगह बाकी न रह जाने से नगर निगम प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था शुरू कर दी है। शहर के आसपास श्मशान स्थलों के साथ रामगंगा के तट के किनारे भी शवों की अंत्येष्टि के लिए व्यवस्थाएं तैयार की जा रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा। अपर नगर आयुक्त अजीत कुमार सिंह ने बताया कि गुलाबबाड़ी में नया चतूबरा बनाने के लिए एक दिन पहले सेना ने कुछ आपत्ति की थी। इसके बाद श्मशान स्थल पर दूसरी जगह नया चबूतरा बनवा दिया गया है।

“शहर के बड़े श्मशान स्थलों पर अंत्येष्टि के लिए जगह कम पड़ रही है। इसलिए अब वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। रामगंगा नदी के किनारे भी शवों की अंत्येष्टि कराने जाने के बारे में विचार-विमर्श चल रहा है।” -अभिषेक आनंद, नगर आयुक्त