स्वस्थ भारत की चुनौती

स्वस्थ भारत की चुनौती

पिछले वर्ष अचानक फैली महामारी से दुनिया में विकसित कहे जाने वाले देशों तक के पसीने छूट गए और दुनिया के तमाम देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं की असलियत सामने आ गई। कोरोना महामारी ने यह अनुभव करा दिया कि गंभीर आपदा का सामना करने के लिए हम कितने तैयार हैं। किसी भी देश का विकास …

पिछले वर्ष अचानक फैली महामारी से दुनिया में विकसित कहे जाने वाले देशों तक के पसीने छूट गए और दुनिया के तमाम देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं की असलियत सामने आ गई। कोरोना महामारी ने यह अनुभव करा दिया कि गंभीर आपदा का सामना करने के लिए हम कितने तैयार हैं। किसी भी देश का विकास योग्य और स्वस्थ मानव संसाधन पर ही निर्भर करता है। इसलिए सबसे पहले स्वास्थ्य क्षेत्र में ढांचागत सुधार करने की जरुरत महसूस की गई।

सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए अस्पताल तैयार किए हैं। बड़ा निगरानी तंत्र बनाने की दिशा में तैयारियां चल रही है। परंतु फिर भी काफी काम किया जाना बाकी है। यही वजह है कि स्वस्थ भारत का निर्माण एक गंभीर चुनौती बन गई है। फिर भी पिछले एक वर्ष में इतना तो बदलाव आया है कि देश में कोरोना संक्रमितों की जांच व उपचार में सरकारी अस्पतालों ने बड़ी भूमिका निभाई है।

वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक 2019 के अनुसार गंभीर संक्रामक रोगों और महामारी से लड़ने की क्षमता के मामले में भारत विश्व के 195 देशों में 57 वें नंबर पर आता है। नेशनल हैल्थ प्रोफाइल 2019 के अनुसार देश में आबादी के हिसाब से सरकारी अस्पतालों की संख्या प्रत्येक एक लाख पर मात्र दो है। इसमें संदेह नहीं कि भारत की मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में अनेक विसंगतियां हैं।

यह विडंबना तब है जब भारत में इन समस्याओं से निपटने के लिए कार्यक्रम और नीतियां मौजूद हैं। आज देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की जो स्थिति है, उसे देखते हुए इसे दुरुस्त बनाने के लिए व्यापक स्तर पर कार्ययोजना बनाए जाने की सख्त जरुरत है। आर्थिक प्रगति के साथ-साथ सामाजिक प्रगति भी उतनी ही आवश्यक है। यदि हम चीन और भारत के आर्थिक विकास की तुलना करें तो चीन के आर्थिक विकास का बहुत बड़ा कारण उसका स्वास्थ्य व शिक्षा में निवेश करना रहा है।

भारत को भी अपने नागरिकों को विश्व की स्पर्धा में आगे लाने के लिए उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का उपहार देना होगा। चीन को भी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने में एक दशक से ज्यादा का समय लग गया था। नीतियां बनाने से ज्यादा बड़ी चुनौती उन्हें अमल में लाने की होती है। भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए सबसे पहली और बड़ी जरुरत इस क्षेत्र में व्यापक निवेश की है।

केंद्र और राज्य सरकारों को अपना स्वास्थ्य बजट बढ़ाना होगा, ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। इसके लिए हमें ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच के अभाव को दूर करना होगा। साथ ही जनस्वास्थ्य की नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जागरुकता फैलाई जानी चाहिए।