सितारगंज: आवासीय योजना में गड़बड़ी के सन्देह पर बैंक पहुंचे लाभार्थी

सितारगंज: आवासीय योजना में गड़बड़ी के सन्देह पर बैंक पहुंचे लाभार्थी

सितारगंज, अमृत विचार। जिलाधिकार के आदेशों पर जांच के दायरे में आई राजीव गांधी आवासीय योजना के लाभार्थियों ने योजना में गड़बड़ी का संदेह होने पर गुरुवार को बैंक पहुंचकर अपने खातों में धनराशि जमा व आहरण की जानकारी ली। जहां एक सहकारी बैंक में योजनान्तर्गत 100 के करीब खाते खुले होने की बात उजागर …

सितारगंज, अमृत विचार। जिलाधिकार के आदेशों पर जांच के दायरे में आई राजीव गांधी आवासीय योजना के लाभार्थियों ने योजना में गड़बड़ी का संदेह होने पर गुरुवार को बैंक पहुंचकर अपने खातों में धनराशि जमा व आहरण की जानकारी ली। जहां एक सहकारी बैंक में योजनान्तर्गत 100 के करीब खाते खुले होने की बात उजागर हुई।
लाभार्थियों के अनुसार खाता खुलने के बाद उन्होंने कोई लेन देन नही किया। जबकि स्टेटमैंट में आवास योजना के अंतर्गत पैसे आने व निकासी की ट्रांजेक्शन दर्ज पाई गई। लेकिन लाभार्थियों द्वारा दी गई 10 फीसद धनराशि की कोई एंट्री ना होने से गड़बड़ी का संदेह गहराता जा रहा है। ज्ञात हो कि राजीव गांधी आवासीय योजना के अंतर्गत वर्ष 2020 में स्वीकृत हुए 174 मकानों की स्थलीय जांच चल रही है। उपजिलाधिकारी मुक्ता मिश्रा के नेतृत्व में गठित 7 सदससीय जांच कमेटी ने गुरुवार को दूसरे दिन भी विभीन्न वार्डों में बनाए गए मकानों की जांच कर लोगों के बयान दर्ज किए।
वहीं वार्ड 1 मलिन बस्ती के लाभार्थियों ने गड़बड़ी के सन्देह पर बैंक जाकर खातों के सम्बंध में  जानकारी ली तो पता चला कि उनके द्वारा दी गई 10 फीसद धनराशि का कोई विवरण अंकित नही है। जबकि योजना में आई क़िस्त का विवरण दर्ज है। लाभार्थियों का कहना है कि खाता खुलने के बाद वह कभी बैंक गए ही नही। ना ही ही उनके द्वारा कोई लेन देन किया गया। पूछे जाने पर बैंक प्रबंधन ने बताया की योजना के अंर्तगत नगर पालिका अधिशासी अधिकारी,लाभार्थी का शामिल खाता खोला गया था। उनके द्वारा   नगर पालिका ईओ के हस्ताक्षरों से लाभार्थी के हस्ताक्षरों को प्रमाणित मान कर चैक भुगतान किए गए हैं।
नगर पालिका का भुगतान रुकना भी बड़ी वजह
सितारगंज। लाभार्थियों के स्टेटमैंट में योजना की एक,दो किस्तें ही अंकित पाई गईं। जिससे ये तो स्प्ष्ट है कि नगर पालिका की जांच के दौरान रुके भुगतान के बाद क़िस्त जारी न होने से लाभार्थियों के मकानों का निर्माण अधर में लटक गया है। अधिकांश के फर्श,प्लास्टर,प्लम्बर के कार्य अधूरे पड़े हैं।
खातों का सत्यापन ना होना भी सन्देह बढ़ाने में सहायक
सितारगंज। राजीव गांधी आवासीय योजना के तहत 100 के करीब खाते नगर के एक ही बैंक में बिना किसी आधिकारिक पत्राचार के खोल दिए गए। लेकिन अफसरों ने खातों के सत्यापन कराना तक जरूरी नही समझा।अगर समय पर इन शामिल खातों के सत्यापन होता तो ठेकेदार द्वारा धन आहरण के आरोपों से काफी हद तक पालिका प्रशासन बचा रहता।
राजीव गांधी आवासीय योजना के अंतर्गत बने मकानों की जांच पूर्व में भी की जा चुकी है। उपजिलाधिकारी मुक्ता मिश्रा ने पिछली जांच में मकानों का निर्माण सही बताया था। पुनः जांच औचित्यहीन है। पालिका द्वारा सीधे लाभार्थियों को पैसा ट्रांसफर किया गया है। लाभार्थी किस ठेकेदार से क्या अनुबन्ध करता है वो उनका निजी मामला है। योजना में ठेकेदारी प्रथा की बात सरासर गलत है।
-हरीश दुबे बैंक चेयरमैन सितारगंज शाखा

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