बरेली: साइबर थानों में 90 फीसदी विवेचनाएं पेंडिंग

बरेली: साइबर थानों में 90 फीसदी विवेचनाएं पेंडिंग

बरेली, अमृत विचार। साइबर अपराध को रोकने के लिए प्रदेश में परिक्षेत्र स्तर पर खोले गए साइबर थानों में 90 फीसदी विवेचनाएं पेंडिंग पड़ी हुई हैं। शासन स्तर पर की गई समीक्षा के दौरान यह खामी पायी गई है। प्रदेश के साइबर क्राइम थानों में 211 विवेचनाओं में से सिर्फ 24 का ही निस्तारण किया …

बरेली, अमृत विचार। साइबर अपराध को रोकने के लिए प्रदेश में परिक्षेत्र स्तर पर खोले गए साइबर थानों में 90 फीसदी विवेचनाएं पेंडिंग पड़ी हुई हैं। शासन स्तर पर की गई समीक्षा के दौरान यह खामी पायी गई है। प्रदेश के साइबर क्राइम थानों में 211 विवेचनाओं में से सिर्फ 24 का ही निस्तारण किया गया है।

बरेली परिक्षेत्र की बात करें तो यहां 10 मुकदमों की विवेचना की जा रही है, जिसमें सभी पेंडिंग हैं। विवेचनाओं के लटकने के साथ-साथ साइबर अपराधियों की धरपकड़ भी सुस्त है। सिर्फ रिपोर्ट दर्ज कर मामला ठंडे बस्ते में चला जा रहा है। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने सभी रेंज के आईजी व डीआईजी को इसको लेकर नियमित समीक्षा कर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

जब भी कोई व्यक्ति साइबर अपराध का शिकार होता है तो वह सबसे पहले अपने संबंधित थाना में जाता है लेकिन थाना में रिपोर्ट दर्ज न कर उसे टरका दिया जाता है। उसे बैंक या फिर साइबर थाना या साइबर सेल में जाने के लिए बोल दिया जाता है। यदि पीड़ित साइबर थाना पहुंचता है तो उसे एक लाख से कम रकम होने की बात कहकर जिले की साइबर सेल में भेज दिया जाता है। जिले की साइबर सेल भी बिना अधिकारी की अनुमति के शिकायत को अमल में नहीं लाती है। ऐसे में पीड़ित चक्कर लगाता है और तब तक काफी देर हो चुकी होती है।

शिकायत होने के बाद साइबर सेल की जांच के बाद थानों में रिपोर्ट दर्ज होती है। इसके अलावा साइबर थाना में भी बड़े मामले की रिपोर्ट दर्ज होती है लेकिन इन मामलों की विवेचना पेंडिंग ही रहती हैं। काफी दिनों तक पेंडेंसी के बाद थाना पुलिस ज्यादातर मामलों में अंतिम रिपोर्ट ही लगा देती है। इसके पीछे पुलिस का तर्क होता है कि किसी भी पीड़ित से ठगी दूसरे प्रदेश में बैठे ठग करते हैं। इसके अलावा खातों से निकाली गई रकम तीसरे स्थान पर फर्जी अकाउंट में जाती है।

साइबर क्राइम की जांच करने वाले विवेचकों को दूसरे प्रदेश में जाने की जल्दी अनुमति नहीं मिलती है। अनुमति मिलती है तो दूसरे राज्य की पुलिस सपोर्ट नहीं करती है। इसी वजह से विवेचनाएं पेंडिंग रहती हैं। बरेली रेंज में जून 2020 को खुले साइबर थाना की बात करें तो 10 विवेचनाओं में 9 बरेली जिले और एक बदायूं जिले की है। साइबर थाना की पुलिस को कोर्ट में भी दूसरे जिले के मामलों में दिक्कत हो रही है। इस वजह से मामले उसी जिले में वापस भेजे जा रहे हैं।

प्रत्येक सप्ताह भेजनी होगी रिपोर्ट
अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि साइबर थानों में होने वाले क्रियाकलापों की समीक्षा प्रत्येक सप्ताह साइबर क्राइम मुख्यालय भेजनी होगी। इसके तहत साइबर थाने के नाम के साथ पंजीकृत अभियोग, आरोप पत्र और अंतिम रिपोर्ट की संख्या की जानकारी देनी होगी। यदि कोई विवेचना पेंडिंग है तो क्यों है। इसको लेकर भी मुख्यालय को बताया जाए। इसके अलावा प्रत्येक माह में भी आख्या भेजनी होगी। एडीजी साइबर क्राइम सभी परिक्षेत्र से आने वाली मासिक रिपोर्ट को शासन में पेश करेंगे। इसके अलावा जोन के एडीजी, जिले के एसएसपी व एसपी क्राइम को भी साइबर अपराध के मामलों में आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।