कुछ इस तरह लगाया जाएगा शुष्क शौचालयों और मैला ढोने वालों का पता, की जाएगी मदद
नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने अस्वास्थ्यकर शुष्क शौचालयों एवं मैला ढोने वालों की ‘जियोटैगिंग’ करने और उनकी पहचान करने में मदद करने के मकसद से एक मोबाइल ऐप्लीकेशन की शुरुआत की। गहलोत ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे ‘स्वच्छता अभियान’ मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और यदि वे …
नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने अस्वास्थ्यकर शुष्क शौचालयों एवं मैला ढोने वालों की ‘जियोटैगिंग’ करने और उनकी पहचान करने में मदद करने के मकसद से एक मोबाइल ऐप्लीकेशन की शुरुआत की। गहलोत ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे ‘स्वच्छता अभियान’ मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और यदि वे कहीं शुष्क शौचालय एवं मैला ढोने वालों को देखें, तो वे इसके जरिए संबंधित प्राधिकारियों को सूचित करें।
शुष्क शौचालय ऐसे शौचालय होते हैं, जिनमें स्वच्छता प्रणाली (फ्लश) नहीं लगी होती और उन्हें हाथ से साफ करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इससे मैला ढोने वाले सभी लोगों के पुनर्वास और शुष्क शौचालयों को स्वच्छता प्रणाली वाले शौचालयों में तब्दील करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”जनगणना 2011 के अनुसार देश में 26 लाख से अधिक शुष्क शौचालय हैं। मैला ढोना का मुख्य कारण शुष्क शौचालय हैं।” मैला ढोने वाले के तौर पर रोजगार देने पर प्रतिबंध और उनके पुनर्वास संबंधी कानून, 2013 के तहत शुष्क शौचालयों का पता लगाकर उनके स्थान पर स्वच्छता प्रणाली वाले शौचालय बनाने का आदेश दिया गया है। सरकार इसी मकसद के लिए स्वच्छ भारत अभियान लागू कर रही है।
गहलोत ने बताया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता प्रणाली वाले नौ करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं। उन्होंने कहा, ”देश को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है। राज्यों द्वारा और 194 जिलों में राष्ट्रीय सर्वेक्षण द्वारा 2013-14 के बाद से 66,000 से अधिक मैला ढोने वालों का पता लगाया गया है।”
गहलोत ने कहा, ”अपने बैंक खातों की जानकारी जमा करने वाले करीब 57,000 मैला ढोने वालों को 40-40 हजार रुपए की एकमुश्त सहायता राशि दी जा चुकी है।” उन्होंने कहा कि इसके अलावा उन्हें प्रशिक्षण एवं ऋण भी मुहैया कराया गया है।