बड़े काम की किडनी: अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से निकालती बाहर, किन वजहों से किडनी होती खराब... यहां जानें

बड़े काम की किडनी: अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से निकालती बाहर, किन वजहों से किडनी होती खराब... यहां जानें

कानपुर, अमृत विचार। किडनी शरीर में मौजूद रक्त को फिल्टर करके विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकालने का काम करती है। जाहिर है कि अगर किडनी काम करना बंद कर दे, तो शरीर में विषाक्त और अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा बढ़ जाएगी और शरीर को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाएगा। 

कानपुर, अमृत विचार। किडनी शरीर में मौजूद रक्त को फिल्टर करके विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकालने का काम करती है। जाहिर है कि अगर किडनी काम करना बंद कर दे, तो शरीर में विषाक्त और अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा बढ़ जाएगी और शरीर को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाएगा। 

डायलिसिस क्या काम करती

जब किडनी फेल हो जाती है, तो डायलिसिस करना पड़ता है। इसमें शरीर से खून को निकाला जाता है, फिर उसे मशीन की मदद से साफ करके वापस शरीर में डाला जाता है। इस तरह किडनी के काम का जरिया तो डायलिसिस है, लेकिन यह किडनी की बीमारी को ठीक नहीं कर सकती है। पूर्ण उपचार किडनी ट्रांसप्लांट ही है। 

बड़ी परेशानी : शुरुआत में पता ही नहीं चलती बीमारी 

किडनी की बीमारी आम होती जा रही है। बड़ी संख्या में युवा भी किडनी के रोगों का शिकार हैं। लेकिन सबसे बड़ी परेशानी यह है कि किडनी के मरीज को बीमारी का शुरुआत में पता ही नहीं चल पाता है, लक्षण तब नजर आते हैं जब मर्ज गंभीर हो जाता है, जबकि चिकित्सकों के मुताबिक समय से पता चल जाने पर बीमारी को दवाओं से ठीक किया जा सकता है। 

08% - गुर्दों की कार्यक्षमता हर साल भारत जैसे गर्म देशों के क्रोनिक किडनी रोगियों की, ठंडे देशों के रोगियों के मुकाबले कम हो जाती है। (यूसीएल और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं का अध्ययन) 
05 वीं- सबसे बड़ी बीमारी किडनी फेल होना देश में हो जाएगी, अगले डेढ़ दशक के भीतर। (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की अध्ययन रिपोर्ट) 
5.2-लाख देश में किडनी के मरीजों को डायलिसिस की जरुरत है।
2.5 लाख अधिकतम लोगों को ही देश में डायलिसिस की सुविधा मिल पाती है। इसकी बड़ी वजह डायलिसिस सेंटरों की कमी है।  
700 से अधिक शहर में हर साल नए गुर्दा मरीजों को डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती।
80 % से ज्यादा शहर में डायलिसिस करा रहे रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत।

हाई रिस्क जोन के मरीज- 

डायबिटीज, अनियंत्रित रक्त चाप, मोटापा, नमक का अधिक सेवन, धूम्रपान, 

इस तरह करें बचाव

डायबिटिक मरीजों के लिए शुगर और ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखना जरूरी। यूरीन की जांच कराते रहें। साल में कम से कम एक बार किडनी फंक्शनल टेस्ट या सीरम क्रिटिनिन की जांच कराएं। यूरीन में प्रोटीन की जांच भी जरूरी है। चिकित्सक की सलाह पर ही दर्द निवारक गोलियां लें। धूम्रपान न करें। संक्रमण से दूर रहें। वजन नियंत्रण में रखें।

जब किडनी फेल हो जाती है, तो डायलिसिस करना पड़ता है। इसमें शरीर से खून को निकाला जाता है, फिर उसे मशीन की मदद से साफ करके वापस शरीर में डाला जाता है। इस तरह किडनी के काम का जरिया तो डायलिसिस है, लेकिन यह किडनी की बीमारी को ठीक नहीं कर सकती है। पूर्ण उपचार किडनी ट्रांसप्लांट ही है। 

बड़ी परेशानी : शुरुआत में पता ही नहीं चलती बीमारी 

किडनी की बीमारी आम होती जा रही है। बड़ी संख्या में युवा भी किडनी के रोगों का शिकार हैं। लेकिन सबसे बड़ी परेशानी यह है कि किडनी के मरीज को बीमारी का शुरुआत में पता ही नहीं चल पाता है, लक्षण तब नजर आते हैं जब मर्ज गंभीर हो जाता है, जबकि चिकित्सकों के मुताबिक समय से पता चल जाने पर बीमारी को दवाओं से ठीक किया जा सकता है। 

08% - गुर्दों की कार्यक्षमता हर साल भारत जैसे गर्म देशों के क्रोनिक किडनी रोगियों की, ठंडे देशों के रोगियों के मुकाबले कम हो जाती है। (यूसीएल और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं का अध्ययन) 
05 वीं- सबसे बड़ी बीमारी किडनी फेल होना देश में हो जाएगी, अगले डेढ़ दशक के भीतर। (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की अध्ययन रिपोर्ट) 
5.2-लाख देश में किडनी के मरीजों को डायलिसिस की जरुरत है।
2.5 लाख अधिकतम लोगों को ही देश में डायलिसिस की सुविधा मिल पाती है। इसकी बड़ी वजह डायलिसिस सेंटरों की कमी है।  
700 से अधिक शहर में हर साल नए गुर्दा मरीजों को डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती।
80 % से ज्यादा शहर में डायलिसिस करा रहे रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत।

हाई रिस्क जोन के मरीज- 

डायबिटीज, अनियंत्रित रक्त चाप, मोटापा, नमक का अधिक सेवन, धूम्रपान, 

इस तरह करें बचाव

डायबिटिक मरीजों के लिए शुगर और ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखना जरूरी। यूरीन की जांच कराते रहें। साल में कम से कम एक बार किडनी फंक्शनल टेस्ट या सीरम क्रिटिनिन की जांच कराएं। यूरीन में प्रोटीन की जांच भी जरूरी है। चिकित्सक की सलाह पर ही दर्द निवारक गोलियां लें। धूम्रपान न करें। संक्रमण से दूर रहें। वजन नियंत्रण में रखें।

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