इसरो की मदद से बाढ़ नियंत्रण के लिए मौपिंग; Kanpur Nagar Nigam बनाने में जुटा मास्टर ड्रेनेज प्लान, 30 साल की बारिश का डाटा किया जा रहा एकत्र

इसरो की मदद से बाढ़ नियंत्रण के लिए मौपिंग; Kanpur Nagar Nigam बनाने में जुटा मास्टर ड्रेनेज प्लान, 30 साल की बारिश का डाटा किया जा रहा एकत्र

कानपुर, (अभिषेक वर्मा)। शहरी बाढ़ (अर्बन फ्लड) नियंत्रण को लेकर नगर निगम ने मास्टर ड्रेनेज प्लान बनाना शुरू कर दिया है। नेशनल रिमोट सेंसिग सेंटर (इसरो) की मदद से मैपिंग शुरू की गई है। इसमें छोटे-बड़े सभी नालों का डाटा एकत्र किया जा रहा है। मैपिंग के जरिये 27 जलभराव क्षेत्र चयनित किये गए हैं।

नगर निगम के अधिकारी केडीए की महायोजना का भी परीक्षण कर रहे हैं, ताकि भविष्य को ध्यान में रखकर कार्ययोजना तैयार की जाए। मास्टर प्लान के लिये भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी)  से 30 वर्ष की बरसात के साथ  पिछले 5 वर्ष में बारिश के घनत्व का डाटा  मांगा गया है। मास्टर प्लान बनाने में करीब 10 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जिसकी शासन से मांग की गई है।   

प्रदेश को बाढ़ से बचाने के लिये सरकार ने  बजट में एक हजार करोड़ का प्रावधान किया है। शहरों को बाढ़ से बचाने का मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार करने के निर्देश दिये गये हैं। इसके तहत ही नगर निगम ने नेशनल रिमोट सेंसिग सेंटर (इसरो) की मदद से मैपिंग शुरू कराई है। नगर निगम के मुख्य अभियंता एसएएफ जैदी ने बताया कि अभी शहर में नालों, नालियों की लेबलिंग न होने से जो कार्य होता है उसका फायदा शहर वासियों को नहीं मिल पाता है। अब एक लेबलिंग में ही निर्माण होगा, ताकि कहीं भी जलभराव की स्थिति न बने।

मेन नाला व कैचमेंट एरिया में लेबलिंग करनी पड़ेगी। मास्टर ड्रेनेज प्लान का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल और सीवेज के पानी को अलग-अलग करना है। इसके लिये पाइप लाइन डाली जाएगी। वर्षा जल का संचयन करके जलभराव को रोकना उद्देश्य है। मुख्य अभियंता ने बताया कि कानपुर के आसपास वाले क्षेत्रों को भी देखा जा रहा है, जहां से भारी मात्रा में शहर के अंदर बाढ़ का पानी प्रवेश करता है। जलभराव के सभी कारणों और उसके निस्तारण का मास्टर प्लान में ध्यान में रखा जाएगा। 

हाई फ्लड लेवल की डिजाइन होगी तैयार

मुख्य अभियंता ने बताया कि हाई फ्लड लेवल  को लेकर डिजाइन तैयार करेंगे। ड्रोन एरियल भूमि सर्वेक्षण सर्वे करेंगे। टोटल स्टेशन सर्वे से लेबल देखेंगे। यह आधुनिक सर्वेक्षण उपकरण है जो इलेक्ट्रॉनिक थियोडोलाइट को इलेक्ट्रॉनिक दूरी मीटर के साथ एकीकृत करता है। इसके साथ ही लेदर क्लस्टर, आवासीय, व्यवसायिक का नेचर देखेंगे। 

मकड़ी खेड़ा की तर्ज पर हो रहा कार्य

नगर निगम मकड़ी खेड़ा की तर्ज पर पूरे शहर का डाटा एकत्र कर रहा है। विभाग ने सेटेलाइट की मदद से इस क्षेत्र में जलभराव को देखा था। इसके बाद 230 करोड़ रुपये से मकड़ीखेड़ा में 7 किलोमीटर लंबे पक्के सीवर व बरसाती नाले के निर्माण का प्रस्ताव बनाया है। इससे मकड़ीखेड़ा नई बस्ती, एनआरआई सिटी, गंगापुर, पहलवानपुरवा समेत कई क्षेत्रों में बरसात में होने वाले भीषण जलभराव से निजात मिल जाएगी। 

भविष्य को ध्यान में रखकर मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार किया जा रहा है। नगर निगम क्षेत्र और आउटर सीमा को जोड़कर प्लान बनेगा। शहर के साथ ही नगर निगम क्षेत्र में बाहरी क्षेत्र का आने वाला पानी भी देखा जा रहा है। मास्टर प्लान की बाध्यता है कि भविष्य में कोई भी डेवलपमेंट होगा उसे फॉलोअप करना ही पड़ेगा।- एसएएफ जैदी, मुख्य अभियंता नगर निगम

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