शाहजहांपुर: स्मार्ट सिटी के सपने को धब्बा लगा रही स्मार्ट रोड की लेटलतीफी

शाहजहांपुर, अमृत विचार: स्मार्ट सिटी शाहजहांपुर को चार-चांद लगाने के लिए बनाई जा रही सुभाषनगर नगरिया मोड़ स्मार्ट रोड की लेटलतीफी योजना की सुंदरता को धब्बा लगा रही है। दो साल की देरी के बाद भी अभी तक सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। बार-बार किसी न किसी वजह से काम लटक जाता है। वर्तमान में स्थिति यह है कि लाइट लग तो गई है, लेकिन जलती नहीं है।
मार्च 2023 में सड़क लोक निर्माण विभाग से नगर निगम को हैंडओवर होनी थी, लेकिन अभी तक नहीं हो पाई है। दूसरी ओर इसकी लागत को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि साढ़े 13 करोड़ में एक किलो मीटर सड़क जिस तरह की बननी चाहिए थी, वैसी नहीं बन पा रही है। इतना मोटा बजट खपाने के बाद भी सड़क की सुंदरता सवालों में है। आखिर क्या कारण है कि सड़क दो साल विलंब से चल रही है। अभी और कितना समय इसके पूरा होने में लगेगा, यह भी पता नहीं है।
राज्य सरकार ने महानगर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है। इसी क्रम में वर्ष 2022 में शहर को पहली स्मार्ट रोड की सौगात मिली थी। इसके लिए 13.50 करोड़ के बजट को मंजूरी मिली थी। जिससे सुभाषनगर से लेकर रिंग रोड तक करीब एक किमी सड़क बननी थी। ताकि बरेली मोड़ की ओर आने-जाने वाले लोगों को शहर के बीच में लगने वाले जाम से छुटकारा दिलाया जा सके।
तमाम अटकलों को धीरे-धीरे दूर कराकर सड़क निर्माण का काम तो जैसे-तैसे पुरा करा दिया गया, लेकिन वहां अभी तक स्मार्ट रोड का अहसास लोगों को नहीं आ पा रहा। लाइटिंग का काम तो पूरा हो गया है, लेकिन रात को लाइट नहीं जल रही है। जिसको लेकर रात के समय लोगों को परेशानी होती है। जबकि कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी को मार्च 2023 तक काम पूरा कराकर नगर निगम को हैंडओवर करना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
पहले रेलवे का अंडरपास इस निर्माण कार्य में काफी दिनों तक बाधक बना रहा। जैसे-तैसे इस समस्या का निस्तारण तो गत वर्ष की शुरुआत में ही हो गया था लेकिन उसके बाद भी अब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया। कार्यदायी संस्था की ढिलाई की वजह से अब तक वहां काम चल रहा है। जिसमे लाइटिंग के अतिरिक्त फुटपाथ का शतप्रतिशत काम भी पूरा नहीं हो पाया। इसके अतिरिक्त डिवाइडर के बीच में हरियाली भी नहीं उगाई गई। जबकि वाहनों का संचालन काफी समय पहले ही शुरू करवा दिया गया। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी स्मार्ट रोड का कार्य पूरा हो जाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अब तक हैंडओवर क्यों नहीं हुआ इसका जवाब उनके पास नहीं है।
25 करोड़ से दूसरी स्मार्ट रोड बनाने की तैयारी
केरूगंज से मघईटोला होते हुए लखनऊ-सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ने के लिए शासन से स्वीकृति मिल गई है। नगर निगम की ओर से केरूगंज से मघईटोला होते हुए नेशनल हाईवे तक 25 करोड़ की लागत से स्मार्ट रोड बनाई जाएगी। इस सड़क की लंबाई 2.2 किमी होगी। इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) पीडब्ल्यूडी तैयार कर रहा है। नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक, यह स्मार्ट रोड अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी। सड़क का चौड़ीकरण और सुंदरीकरण होगा। लाइट की व्यवस्था चाक-चौबंद की जाएगी। इसके साथ ही हरियाली का विशेष ध्यान रखा जाएगा। मघईटोला मोहल्ला में बस्ती वाले क्षेत्रों में चौड़ाई कम होगी। मघईटोला मोड़ से नेशनल हाईवे तक सड़क के 30 मीटर चौड़ी रहने की संभावना है।
स्मार्ट रोड में यह होनी चाहिए खूबियां
नियमानुसार स्मार्ट रोड ऐसी सड़कें होती हैं जिनमें इलेक्ट्रॉनिक तकनीकें इस्तेमाल की जाती है। इन सड़कों पर डेटा और कनेक्टिविटी के ज़रिए यात्रा को सुरक्षित और आसान बनाया जाता है। स्मार्ट रोड पर सड़क की स्थिति, ट्रैफ़िक और वाहनों की गति की निगरानी की जाती है। यही नहीं स्मार्ट रोड से ट्रैफ़िक और मौसम संबंधी डेटा एकत्र किया जाता है। साथ ही वाई-फ़ाई ट्रांसमीटर लगे होते हैं। ऑप्टिकल फ़ाइबर केबल का इस्तेमाल होता है। साथ ही यह रोड स्मार्ट ट्रैफ़िक मैनेजमेंट सिस्टम से लैश होता है। स्मार्ट रोड पर हाई-टेक सुरक्षा उपाय अपनाए जाते हैं।
इसलिए बनवाए जाते हैं स्मार्ट रोड
स्मार्ट रोड इसलिए बनवाई जाती हैं क्योंकि यह ड्राइविंग सुरक्षित और हरित होती हैं। स्मार्ट रोड से ट्रैफ़िक प्रबंधन में सुधार होता है। स्मार्ट रोड से ऊर्जा दक्षता में सुधार होता है। स्मार्ट रोड से दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है। इनमें टेक्नोलॉजी का प्रयोग ज्यादा होता है। ऐसे में इन्हें भविष्य के डिजिटल हाईवे भी कहा जाता है। हालांकि सुभाषनगर वाले स्मार्ट रोड में कितने नियमों का पालन किया गया है, यह भविष्य में पता चलेगा।
पीडब्ल्यूडी स्मार्ट रोड का काम
करा रहा है। जानकारी मिली है क काम लगभग पूरा हो गया है। जल्द ही स्मार्ट रोड नगर निगम को हैंडओवर किया जाएगा- डा. विपिन कुमार मिश्र, नगर आयुक्त।
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