"बाबा विश्वनाथ" बने जिला जेल के प्रहरी, कर रहे निगरानी, एंट्री रजिस्टर पर लग रहा देवी देवताओं के नाम का मुहर
मिथलेश त्रिपाठी/प्रयागराज, अमृत विचार। सूबे के महत्वपूर्ण जेलों में शुमार प्रयागराज की सेंट्रल जेल और जिला जेल की निगरानी जेल के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ "बाबा विश्वनाथ" के साथ अन्य देवी देवता भी कर रहे हैं। यह व्यवस्था ब्रिटिश काल से चली आ रही है। अंग्रेजों के जमाने से जेल की सुरक्षा और बंदियों के साथ मुलाक़ातियों पर सिपाहियों व नंबरदारों की कड़ी निगरानी होती है।
बताते चलें कि सेंट्रल जेल नैनी और जिला कारागार नैनी में एक विशेष व्यवस्था लागू है। यह व्यवस्था कोई नई नहीं पर गोपनीय जरूर है। सेंट्रल और जिला जेल में मुलाक़ात करने आने वाले मुलाक़ातियों को लगने वाली मुहर को विशेष और गोपनीय बनाया गया है। वह मुहर देवी देवताओं के नाम पर बनी है।
केंद्रीय कारागार नैनी और जिला जेल में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जेल की सुरक्षा और बंदियों से मुलाक़ात करने आने वाले परिजनों पर कड़ी निगरानी करने के लिए उनके हाथों में मुहर लगाई जाती है। यह कोई मामूली मुहर नहीं है। बिना मुहर के न तो मुलाक़ाती अंदर अपने बंदी से मिलने जा सकता है और न ही बाहर आ सकता है। जेल में लगने वाली मुहर भी बड़ी खास और गोपनीय है। इस मुहर को लगाने की प्रक्रिया अंग्रेजों के शासन काल से चली आ रही है।
जेल की मुहर के कैसे-कैसे नाम
जेलों में मुलाक़ातियों को लगने वाली मुहर कोई आम मुहर नहीं है। इस मुहर में देवी देवताओं के नाम या फिर धार्मिक स्थानों के नाम या तो फल और सब्जियों के नाम पर बनाई जाती है। मुहर में बाबा विश्वनाथ, गंगा, यमुना, कावेरी, महादेव, भोला, राम के अलावा केला, सेब, मटर, आलू, शिमला मिर्च आदि होते हैं। जिसके लगने के बाद ही मुलाक़ाती जेल के अंदर जाता है और मुलाक़ात के बाहर आता है। यह मुहर मुलाक़ातियों की पहचान कराती है कि वह जेल में अपने बंदी से मुलाकात करने आया है।
जेलर के पास होता है मुहर जारी करने का जिम्मा
जेल कोई भी हो वहां मुहर जारी करने का जिम्मा जेलर का होता है। इसके लिए जेलर पहले से जोड़े के हिसाब से दर्जनों की संख्या में मुहर बनवाकर रखते हैं। जिसे नंबरदार और सिपाहियों को लगाने के लिए दिया जाता है। मुहर लगाने वाले की जिम्मेदारी होती है कि वह लगाने के साथ यह भी जानकारी रखे कि किसे कौन सी मुहर लगाई गई है। लापरवाही बरतने पर कार्रवाई भी उसी पर की जाती है।
जेल में तीन स्थानों पर लगती है मुहर
जेल के अंदर तीन मुहर लगती हैं। पहली मुलाकातियों के अंदर जाते वक्त हाथ की कलाई पर, दूसरी अंदर पहुंचने पर और तीसरी मुहर बाहर निकलने के पहले लगाई जाती है। खास बात यह है कि इन लगने वाली मुहर में प्रयोग होने वाली स्याही भी अलग-अलग रंग की होती है। स्याही का रंग लाल, नीला और हरा हो सकता है। इन मुहर और स्याही को रोज जेलर के निर्देश पर प्रतिदिन बदला जाता है। जिससे गोपनीयता भंग न हो।
जिला जेल नैनी की वरिष्ठ जेल अधीक्षक अमिता दुबे ने बताया कि जेल में मुलाकातियों की निगरानी के लिए यह मुहर लगाई जाती है। मुलाकात करने आने वालों की पहचान करने में यह मददगार होती है। इस मुहर को जेलर रोज बदलकर लगवाते हैं। जिससे किसी को मुहर की जानकारी न हो सके और गोपनीयता बनी रहे।
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