बरेली: अगर कंप्यूटर ऑपरेटर अयोग्य तो टेस्ट और साक्षात्कार में कैसे हो गए पास

आउटसोर्सिंग करने वाली फर्म ने तत्कालीन अधिकारियों पर उठाए सवाल

बरेली: अगर कंप्यूटर ऑपरेटर अयोग्य तो टेस्ट और साक्षात्कार में कैसे हो गए पास

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम में अयोग्य कंप्यूटर ऑपरेटरों की तैनाती में फर्जीवाड़ा सिर्फ आउटसोर्सिंग एजेंसी ने नहीं किया। तत्कालीन अफसरों ने भी उनके लिए द्वार खोल दिए थे। नाला साफ कराने का ठेका लेने वाली जिस फर्म पर अयोग्य कंप्यूटर ऑपरेटरों को तैनात करने के आरोप लग रहे हैं, उसने भी अब सवाल खड़ा किया है कि अगर कंप्यूटर ऑपरेटर अयोग्य थे तो तत्कालीन अफसरों के टेस्ट में कैसे पास हो गए।

हिंदी टाइपिंग भी न जानने वाले लोगों को 25 हजार तक के वेतन पर नगर निगम में कंप्यूटर ऑपरेटर तैनात कर दिए जाने के खुलासे के बाद अब नगर निगम में गोलमाल के एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं। तत्कालीन अधिकारी पहले से इस सवाल में घिरे हुए हैं कि आउटसोर्सिंग पर कंप्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति का टेंडर उन्होंने ऐसी फर्म को क्यों दिया जो नगर निगम में नालों की सफाई के लिए पंजीकृत थी और जिसके पास नौकरियों में आउटसोर्सिंग का कोई अनुभव भी नहीं था। अब दूसरा सवाल इग्नाइटेड सॉफ्ट नाम की फर्म ने उठाया है। फर्म के मालिक गौरव सक्सेना का कहना है कि यह जवाब तत्कालीन अफसरों से मांगा जाना चाहिए कि अगर कंप्यूटर ऑपरेटर अयोग्य थे तो उन्होंने उन्हें टेस्ट और साक्षात्कार में कैसे पास कर दिया।नए सवाल उठने के साथ अब यह भी कहा जा रहा है कि नियुक्तियों में घपला दरअसल तत्कालीन अधिकारियों ने ही कराया था। उन्होंने नियुक्ति प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर ऐसे लोगों की तैनाती करा दी जिनकी उनसे सिफारिशें की गई थीं। यही वजह रही कि हिंदी टाइपिंग न जानने के बावजूद इन कंप्यूटर ऑपरेटरों ने न सिर्फ टेस्ट पास कर लिया बल्कि साक्षात्कार में भी आसानी से निकल गए।

फर्म ने दे अफसरों को दे डाली ये चुनौती
तत्कालीन अफसरों के टेस्ट और साक्षात्कार पर सवाल खड़े करने के साथ इग्नाइटेड सॉफ्ट के मालिक गौरव सक्सेना ने मौजूदा अधिकारियों को भी घेरा है। उन्होंने बताया कि उनकी फर्म पूरी ईमानदारी से कई नगर निगमों में काम कर रही है। नगर निगम की जो जांच समिति कंप्यूटर ऑपरेटरों को अयोग्य बता रही है, उससे वे उनकी सूची के साथ टेस्ट के नतीजे दिखाने की कई बार मांग कर चुके हैं लेकिन उन्हें कोई सूचना नहीं दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर कोई कंप्यूटर ऑपरेटर अयोग्य है तो उसकी जगह वह जांच-परखकर दूसरा दे देंगे, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि सभी ऑपरेटरों को पूरा मानदेय देने के साथ नियमों के मुताबिक उनका फंड भी जमा किया जा रहा है।

कई शहरों में इग्नाइटेड सॉफ्ट फर्म के ठेके
बरेली नगर निगम में नालों की सफाई के साथ तमाम और ठेके हथिया लेने वाली इग्नाइटेड सॉफ्ट छोटी-मोटी फर्म नहीं है। इस फर्म ने बरेली के अलावा मुरादाबाद, मेरठ और देहरादून नगर निगम में भी कई ठेके ले रखे हैं। बदायूं नगर पालिका में भी काम कर चुकी है। बताया जा रहा है कि इस फर्म ने 2011 में निकायों में काम शुरू किया था और कुछ ही सालों में इतनी जबर्दस्त पहुंच बना ली कि निकायों में कई-कई ठेके हथिया लिए। बरेली में ही इस फर्म के पास नालों की सफाई, आउटसोर्सिंग पर कंप्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति, अलावों के लिए लकड़ी की सप्लाई और सड़कों की विशेष सफाई तक के ठेके हैं।

ऐसे हुई पर्दाफाश की शुरुआत
दो साल पहले आउटसोर्सिंग पर 51 कंप्यूटर ऑपरेटर नियुक्त हुए थे। कामकाज न कर पाने पर हाल ही में इनका टेस्ट लेने के लिए एक समिति गठित की गई जिसने 30 ऑपरेटरों को अयोग्य ठहरा दिया। बताया गया कि ये ऑपरेटर हिंदी टाइपिंग और डेटा फीडिंग तक नहीं जानते। अब तक गूगल की मदद से नौकरी चला रहे थे।

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