रामपुर : पाकबड़ा हादसा...रो-रोकर बुरा हाल, शव लेने मुरादाबाद रवाना हुए परिजन

हाईवे पर हादसे में दंपती और दोनों बच्चों की मौत खबर सुन फुरकान के घर की ओर दौड़े गांव भर के लोग

रामपुर : पाकबड़ा हादसा...रो-रोकर बुरा हाल, शव लेने मुरादाबाद रवाना हुए परिजन

रामपुर, अमृत विचार। मुरादाबाद के पाकबड़ा थाना क्षेत्र में लखनऊ-दिल्ली हाईवे पर मंगलवार को हुए दर्दनाक हादसे में दंपती और उन दो बच्चों की मौत के बाद रामपुर के गंज थाना क्षेत्र के काशीपुर गांव के कई घरों में मंगलवार की शाम चूल्हे नहीं जले। मौत की खबर जैसे घर पहुंची परिजनों में चीख पुकार मच गई। मौत की खबर सुनकर गांव के लोगों ने फुरकान के घर की ओर दौड़ लगा दी। लोग छतों पर चढ़ गए और एक-दूसरे से मौत की चर्चा करते रहे। परिजन शव लेने मुरादाबाद के लिए रवाना हो गए हैं। मां-बाप और दो बहनों की मौत से फुरकान का 10 वर्षीय बेटा अबूजर रुआंसा है।

मृतक के घर के करीब खड़े गांव निवासी मोहम्मद अहमद बताते हैं कि फुरकान व्यवहार कुशल और मिलनसार था। उसकी पत्नी सीमा लोगों के सुख-दुख में शामिल रहती थी। सीमा पाकबड़ा के ग्राम रतनपुरा स्थित मायके यह कहकर गई थी कि जल्दी लौटकर आएगी। परिजन सीमा और फुरकान की बातों को याद कर-करके बेहद गमगीन हो रहे थे। कई लोगों की आंखें भी भर आ रही थीं। फुरकान के घर में गांव की महिलाएं भर गईं और बयान करके रोती रहीं। दो बहनों और मां-बाप की मौत की खबर सुनकर फुरकान का 10 वर्षीय बेटा अबूजर भी रुआंसा हो उठा। उसे परिजन संभाले रहे। गांव चार मौत होने से सन्नाटा पसर गया। शाम को अधिकतर लोगों के घरों में चूल्हा भी नहीं जला। गांव के घरों में फुरकान और उसकी पत्नी समेत दो बच्चों की मौत पर ही चर्चा होती रही।

10 वर्ष के अब्बूजर की बच गई जान
मृतक फुरकान का एक बेटा और दो बेटियां थीं। बेटियां छोटी होने के नाते फुरकान और सीमा अपनी दो बच्चियों के साथ ससुराल गया था। जबकि उसके बेटे अबूजर ने ननिहाल जाने से मना कर दिया था। वह अपने चाचा और ताऊ के पास रुक गया था। उसके नहीं जाने से उसकी जान बच गई। जब उसको अपने माता-पिता और बहनों की मौत की खबर मिली, तो वह भी रुआंसा हो गया। परिजन उसको संभाले हुए थे।

छह भाइयों में चौथे नंबर का था फुरकान
फुरकान का पूरा परिवार एक ही घर में रहता है। सभी के अपने-अपने अलग कमरे बने हुए हैं। फुरकान मकानों में पुताई और वालपुट्टी का काम करता था। उसके सबसे बड़े भाई का नाम साबिर, उससे छोटे शरीफ, नूर, बाबू के बाद फुरकान का नंबर आता है, जबकि रेहान और अदनान उससे छोटे हैं। भाई की मौत के बाद सभी का रो-रोकर बुरा हाल है। लोगों का कहना है कि दस वर्ष के अबूजर से माता-पिता का साया सिर से उठ गया है। देखो अब इसकी देखभाल कौन करेगा। महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल था।

छतों से लोग देखते रहे गमगीन माहौल
मृतक फुरकान के घर में चारों लोग ही लोग नजर आ रहे थे। अचानक से घर से लोगों के रोने-पीटने की आवाज सुनकर लोग एकदम छतों पर आ गए। उसके के बाद लोग मामले की जानकारी लेते रहे, जबकि बहुत से लोग चौराहे पर खड़े होकर बातें करते रहे। रिश्तेदार और परिजन चारों के शवों का आने का इंतजार कर रहे थे।