पैडी अप्टन ने की डी गुकेश की मदद, बोले-विश्व चैम्पियनशिप में मानसिक-भावनात्मक दबाव से निपटना महत्वपूर्ण
चेन्नई। विश्व चैम्पियन भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने सोमवार को कहा कि शतरंज सिर्फ 64 खानों की बिसात वाले खेल की रणनीति के बारे में नहीं है और विश्व चैम्पियनशिप में उनके ऐतिहासिक प्रदर्शन के दौरान 'भावनात्मक दबाव' पर काबू पाने में मानसिक अनुकूलन कोच पैडी अप्टन ने उनकी काफी मदद की। चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र में चैम्पियन बनने वाले 18 वर्षीय गुकेश सोमवार को यहां पहुंचे। यहां पहुंचने पर प्रशंसकों और अधिकारियों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
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गुकेश ने अपने बचपन के स्कूल वेलाम्मल विद्यालय द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, विश्व चैंपियनशिप सिर्फ शतरंज के चालों के बारे में नहीं है। इससे निपटने के लिए बहुत सारे मानसिक और भावनात्मक दबाव होते हैं। पैडी अप्टन ने इस मामले में मेरी काफी मदद की है। पैडी अप्टन एक जाने माने मानसिक अनुकूलन कोच है। उन्होंने सिंगापुर में 14 बाजियों के विश्व चैम्पियनशिप मुकाबले के दौरान गुकेश के साथ काम किया था।
गुकेश ने कहा, मैंने उनसे जो बातचीत की और उन्होंने मुझे जो सुझाव दिये वह एक खिलाड़ी के रूप में मेरे विकास के लिए काफी अहम रहे हैं। गुकेश ने इस मौके पर 2011 क्रिकेट विश्व कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम और पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली राष्ट्रीय पुरुष हॉकी टीम के साथ काम करने वाले अपटन से जुड़ाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा, पैडी अप्टन मेरी टीम का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। कैंडिडेट्स (अप्रैल) जीतने के बाद, मैंने संदीप सर (वेस्टब्रिज कैपिटल के संदीप सिंघल) से एक मानसिक अनुकूलन कोच की मांग की थी।
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इस युवा खिलाड़ी ने कहा, ‘‘उन्होंने तुरंत मुझे पैडी अपटन से संपर्क कराया। जिनके पास शानदार प्रदर्शन करने वाले एथलीटों के साथ काम करने का काफी अनुभव है।’’ गुकेश के चैम्पियन बनने के एक दिन बाद अपटन ने ‘पीटीआई’ को दिये साक्षात्कार में इस खिलाड़ी की ‘‘जागरूकता’ की सराहना की थी। उन्होंने कहा था, मुझे लगता है कि गुकेश के साथ काम करने में सबसे शानदार बात उनकी जागरूकता का स्तर था। मेरी कोशिश यह परखने की थी कि वह अपने विचारों पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है।
उन्होंने कहा, शतरंज की बिसात पर जरूरत से ज्यादा सोचते समय भी उन्होंने परिपक्व जागरूकता दिखायी। अगर उनका दिमाग भटका भी तो उन्होंने ने तुरंत काबू पा लिया। उन्होंने कहा, वह शुरुआत में 0-1 से पिछड़ने के बावजूद वह एक विश्व चैंपियन है क्योंकि वह खुद को प्रबंधित करने, ध्यान केंद्रित करने और खेल में बने रहने में सक्षम था। इतने बड़े आयोजन में शुरुआती झटके से उबरना आसान नहीं है। गुकेश ने अपनी शतरंज यात्रा में समर्थन देने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन को भी धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, तमिलनाडु सरकार से बहुत समर्थन मिला। जब भी मैं कुछ हासिल करता हूं तो मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मुझे घर बुलाते हैं और प्रोत्साहित करते हैं। पिछले साल चेन्नई ग्रैंडमास्टर्स के दौरान तमिलनाडु सरकार ने मुझे प्रायोजित किया था। उन्होंने सारी व्यवस्थाएं कीं। इस तरह मैंने टूर्नामेंट जीता और कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई किया। उन्होंने कहा, हमें अगर इस तरह अधिक समर्थन मिलता है, तो मेरा मानना है कि अधिक शतरंज खिलाड़ी आएंगे। मैं तमिलनाडु सरकार का बहुत आभारी हूं। महान विश्वनाथन आनंद के बाद गुकेश विश्व खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं। आनंद ने यहां अपनी अकादमी में युवाओं को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गुकेश के पिता डॉ. रजनीकांत (ईएनटी सर्जन) ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को शौक के तौर पर स्कूल में शतरंज सत्र में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया था।
उन्होंने कहा, आपको दिलचस्पी दिखाने के साथ कड़ी मेहनत करनी होगी नहीं तो कोई फायदा नहीं होगा। हमने उसे शतरंज खिलाड़ी बनाने की योजना नहीं बनाई थी। हमने पाठ्यक्रम से इतर गतिविधि के तौर पर वेलाम्मल स्कूल के शतरंज कक्षा में उसका नामांकन कराया था। उन्होंने कहा, उसने जब इस खेल में रुचि दिखाई और कड़ी मेहनत की तो हमने उसका पूरा समर्थन किया। एक माता-पिता के रूप में हमने उसे जितना संभव हो सके उतना ‘एक्सपोजर’ देने की कोशिश की। मैं अन्य माता-पिता को भी यही सुझाव दे सकता हूं। उन्होंने कहा, हमें आपके बच्चों की रुचि को यथासंभव अधिक से अधिक एक्सपोजर देने का प्रयास करना चाहिए।
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