बलरामपुर अस्पताल में लौटाए जा रहे डायलिसिस के मरीज, मशीनें हुई खराब
लखनऊ, अमृत विचार: डायलिसिस के लिए रोजाना बड़ी संख्या में मरीजों को ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा। जिले के सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा सिर्फ बलरामपुर अस्पताल में है। चिकित्सा संस्थानों में मरीजों का लोड अधिक होने के कारण कई मरीजों को रोजाना बलरामपुर अस्पताल भेजा जाता है। अस्पताल की डायलिसिस यूनिट में लगी सात में से दो मशीने कंडम हो चुकी हैं। इससे डायलिसिस के लिए लंबी वेटिंग है। मरीजों को लौटाया जा रहा।
बलरामपुर अस्पताल में डायलिसिस यूनिट में कुल 7 मशीनें थी, जिसमें से दो मशीनें दो साल से अधिक समय से खराब पड़ी हैं। यूनिट के कर्मचारियों ने बताया कि मशीन बनवाने को लेकर कई बार पत्र लिखा जा चुका है। जिसके जवाब में नई पांच डायलिसिस मशीनें देने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक न मशीन की मरम्मत कराई गई न ही नई मशीन की खरीद हो सकी है। इस कारण रोजाना केवल 10-12 डायलिसिस ही हो पा रही हैं। जबकि मरीजों की संख्या 25 रहती है। ऐसे में रोजाना 10 के करीब मरीजों को वापस लौटना पड़ रहा है।
केस-1 माल के रहने वाले कमलेश कुमार की किडनी में समस्या है। डॉक्टरों ने डायलिसिस कराने को कहा। मरीज के बेटे संदीप ने बताया कि वह बलरामपुर अस्पताल की डायलिसिस यूनिट में गए। जहां नए मरीजों की लंबी वेटिंग होने का हवाला देकर लौटा दिया गया। पीपीपी यूनिट में जाने पर उन्हें एक माह बाद पता करने को खाकर टरका दिया गया।
केस-2 लखीमपुर निवासी अशोक कुमार के बेटे आयुष कुमार (17) की दोनों किडनी में इंफेक्शन था। परिजन 9 दिसंबर को उसे लेकर केजीएमयू आये थे। यहां ऑक्सीजन पाइंट बेड खली न होने पर लोहिया संस्थान भेजा गया। लोहिया के डॉक्टरों ने तत्काल डायलिसिस कराने की जरूरत बताई। परिजन मरीज को लेकर बलरामपुर अस्पताल पहुंचे। यहां डायलिसिसि के लिए वेटिंग होने का हवाला देकर लौटा दिया गया। मरीज की केजीएमयू में 10 दिसंबर को मौत हो गई।
ये दो उदाहरण महज बानगी भर के लिए दिए गए हैं।
पीपीपी यूनिट में भी एक माह की वेटिंग
गंभीर मरीजों को डायलिसिस के लिए इंतजार न करना पड़े। इसके लिए बलरामपुर अस्पताल के सुपरस्पेशयलिटी ब्लॉक (एसएसबी) में पीपीपी मोड पर 14 मशीनों के साथ निशुल्क डायलिसिस की व्यवस्था शुरु की गई थी। लेकिन वहां भी मरीजों को एक माह बाद तक भी डेट नहीं मिल रही यहां तक मरीजों का नाम भी नोट नहीं कर रहे उन्हें एक माह बाद आकर पता करने को कहा जा रहा है।
एक निजी संस्था और कॉर्पोरेशन से कुछ नई डायलिसिस मशीनें मिलनी हैं। जिसकी प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है। उम्मीद है कि नए साल में मशीनें मिल जाएंगी।
-डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक बलरामपुर अस्पताल
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