शाहजहांपुर: न्याय में देरी से परेशान महिला ने कलेक्ट्रेट में किया आत्मदाह का प्रयास

जमीन संबंधी मुकदमे में 25 वर्ष से काट रही अधिकारियों के चक्कर

शाहजहांपुर: न्याय में देरी से परेशान महिला ने कलेक्ट्रेट में किया आत्मदाह का प्रयास

शाहजहांपुर, अमृत विचार। तहसील जलालाबाद क्षेत्र के गांव हारचचोरा उर्फ मोहनिया पहुरा निवासी कुसुमा पुत्री स्व. विद्याराम का जमीन संबंधी मुकदमा एसडीएम सदर के यहां चल रहा है। 25 वर्ष से न्याय की उम्मीद में तारीख पर आते-आते थक गई कुसुमा का शुक्रवार को धैर्य जवाब दे गया। वह पेट्रोल लेकर शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंची और डीएम कार्यालय के बाहर कलेक्ट्रेट परिसर में पेट्रोल खुद पर छिड़क कर आग लगाने की कोशिश की लेकिन वहां मौजूद महिला पुलिस कर्मियों और होमगार्ड ने बचा लिया। इसके बाद सदर पुलिस बाइक पर बैठा कर महिला को अपने साथ ले गई।

तहसील जलालाबाद क्षेत्र के गांव हारचचोरा उर्फ मोहनिया पहुरा निवासी स्व.विद्याराम की दो बेटियां कुसुमा देवी और रूशमिला देवी हैं। कुसुमा ने बताया कि हम दोनों बहनों की कृषि भूमि मोहनिया पहुरा व फत्तेपुर बिरिया में है, जिसके मूल खातेदार हमारे दादा मुंशी पुत्र हिम्मत थे, जिनके एक मात्र पुत्र विद्याराम थे। विद्याराम की पत्नी शकुंतला से हम दोनों बहनें हैं। दादा के जीवनकाल में ही पिता विद्याराम की मृत्यु हो गई। दादा की मृत्यु के बाद कृषि भूमि हम बहनों व मां के नाम विरासत के तौर पर दर्ज हो गई। 

पीड़िता ने बताया कि उसकी शादी ककरौर निवासी वेदराम के साथ हो गई। जमीन की देखभाल के लिए वेदराम मोहनिया में ही रहने लगे। पीड़िता ने बताया कि गांव के ही कुछ भू माफियाओं ने हमारी जमीन हड़पने के लिए वर्ष 1996 में पति वेदराम की हत्या कर दी। डर की वजह से वह अपने पांच माह के बच्चे जबर के साथ ससुराल करकौर आ गई। इसी का लाभ उठाते हुए भूमाफियाओं ने मोहनिया की जमीन अपने नाम चढ़वा ली। जिसका मुकदमा वर्ष 2006 में उसने तहसील जलालाबाद में दायर किया लेकिन वहां भू माफियाओं ने उसे न्याय नहीं मिलने दिया। तब वर्ष 2015 में उसने मंडलायुक्त के यहां मुकदमा चलाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया, जिस एसडीएम सदर के न्यायालय में मुकदमा स्थानांतरित कर दिया गया और वादग्रस्त जमीन को कुर्क कर दिया गया और कुर्की वाली पत्रावली भी एसडीएम सदर के यहां है। पीड़िता ने बताया कि भूमाफिया शातिर हैं और उसे न्याय नहीं मिलने दे रहे हैं। जिसके चलते 26 जुलाई 2019 को निवर्तमान एसडीएम सदर से सांठगांठ करके दौरान मुकदमा वाद निरस्त करा दिया। जिसके खिलाफ आयुक्त व राजस्व परिषद इलाहाबाद ने आदेश को निरस्त कर गुणदोष के आधार पर निर्णीत करने के लिए गुण-दोष के आधार पर पत्रावली को दोबारा एसडीएम सदर के न्यायालय में प्रेषित कर दी। जहां कुसुमा देवी बनाम रामबेटी के नाम मुकदमा विचाराधीन है। दोनों पक्षों की लिखित और मौखिक बहस पूरी होने के बाद 03 नवंबर 2023 तिथि निर्णय के लिए नियत की गई।

आरोप लगाया कि विपक्षी ओमेंद्र सिंह की राजनीतिक लोगों से व सरकारी तंत्र से साज के चलते जानबूझकर निर्णय नहीं किया गया। शासन के उच्चाधिकारियों से शिकायत का भी उसे कोई लाभ नहीं मिला। इस दौरान कई पीठासीन अधिकारी भी बदल गए। पीड़िता ने बताया कि वर्तमान पीठासीन अधिकारी के समक्ष मेरे अधिवक्ता ने 18 अक्टूबर 2024 को दोबारा लिखित और मौखिक बहस की और 07 नवंबर 2024 को विपक्षीगण की दोबारा बहस होकर निर्णय के लिए 16 नवंबर 2024 की तिथि नियत की गई लेकिन कोई आदेश पारित नहीं किया गया। 22 नवंबर 2024 को नोटिस देते हुए पीड़िता ने कहा था कि निर्णय की तिथि नियत हो जाने के बाद भी कोई आदेश पारित नहीं किया गया है, यदि 15 दिन में उसे न्याय नहीं दिलाया गया तो वह न्यायालय परिसर अथवा कलेक्ट्रेट परिसर में आत्मदाह कर लेगी।  

...इसलिए विवादित हो गई जमीन
पीड़िता ने बताया कि उसके दादा की जमीन को हड़पने के लिए गांव के रामपाल ने पिता की मृत्यु के बाद मां शकुतला देवी को बहला-फुसलाकर पुर्नविवाह कर लिया। शकुंतला के पुर्नविवाह से पहले कुसुमा की शादी करकौर निवासी वेदराम के साथ हो चुकी थी।छोटी बहन रुशमिला नाबालिग थी। पुर्नविवाह से भी जब बात नहीं बनी तो रामपाल ने पहले एक फर्जी अपंजीकृत वसीयत बनाकर जालसाज करके जमीन अपने नाम करवाना चाही, उस पर भी बात नहीं बनी तो आरोपी ने साजिश के तहत पीड़िता कुसुमा के पति वेदराम की हत्या कर दी। न्यायालय में मुकदमा चलने पर दोषी पाए जाने पर आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

जमीन का विवाद वर्ष 1990 के पहले से चल रहा है, महिला से बात करने पर पता चला कि न्यायिक प्रक्रिया जो इतने लंबे समय से चल रही थी, उससे वह दुखी थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्याय प्रक्रिया में देरी हुई, एसडीएम सदर से कह दिया है कि 18 दिसंबर को इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया के तहत अपना फैसला दें। -धर्मेंद्र प्रताप सिंह, जिला अधिकारी

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