Bareilly: सीतापुर के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के लिए खरीद लिए बूढ़े घोड़े, जांच में खुलासा
बरेली, अमृत विचार: सीतापुर के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर (पीटीसी) में प्रशिक्षण देने के लिए बूढ़े और बीमार घोड़े खरीद लिए गए। कई घोड़ों की हालत इस कदर खराब है कि वे खुद उठकर खड़े तक नहीं हो पा रहे हैं, पूंछ पकड़कर उन्हें जबरन उठाना पड़ता है। एक घोड़ी की मौत के बाद आईवीआरआई से चिकित्सकों की टीम को जांच के लिए बुलाया गया तो पता चला 24 घोड़े अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। आईवीआरआई के वैज्ञानिकों को चार घोड़ों को पूरी तरह अयोग्य करार देते हुए बाकी घोड़ों की जांच राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार हरियाणा में कराने का सुझाव दिया है।
सीतापुर पीटीसी में प्रशिक्षु दरोगाओं को प्रशिक्षण देने के लिए पिछले साल 62 घोड़ों की खरीद की गई थी। कुछ ही समय बाद कुछ घोड़ों की तबीयत खराब हुई तो उनकी जांच के लिए आईवीआरआई से चिकित्सकों की टीम बुलाई गई। इस जांच में पाया गया कि अधिकतर घोड़े उम्र ज्यादा होने की वजह से बीमार हैं लेकिन इस रिपोर्ट को पीटीसी के अधिकारियों ने नजरंदाज कर दिया। इत्तफाक से कुछ ही समय बाद मुमताज नाम की एक घोड़ी की मौत हो गई। इससे पीटीसी में खलबली मच गई। आनन-फानन फिर घोड़ों की जांच के लिए आईवीआरआई से चिकित्सकों की टीम भेजने के लिए पत्र लिखा गया।
आईवीआरआई से 22 नवंबर 2024 को पीटीसी सीतापुर पहुंचे आईवीआरआई के चिकित्सकों ने 24 घोड़ों की जांच की। इसमें पता चला कि ये घोड़े अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं और अब किसी काम के लायक नहीं रह गए हैं। बाकी घोड़ों में भी कुछ न कुछ गड़बड़ी मिली है। चार घोड़े खुद उठ तक नहीं पा रहे थे। उनकी पूंछ पकड़ कर उन्हें उठाना पड़ रहा था।
पीटीसी सीतापुर के अधिकारियों की ओर से पत्र लिखकर घोड़ों की जांच के लिए टीम भेजने का अनुरोध किया गया था। इसके बाद संस्थान के चिकित्सकों की टीम जांच के लिए भेजी गई थी। - त्रिवेणी दत्त, निदेशक आईवीआरआई
ढाई से चार लाख में खरीदा एक घोड़ा, बूढ़े होने के बावजूद दिए पवन और अभिमन्यु जैसे नाम
पीटीसी सीतापुर में खरीदे गए हर घोड़े की कीमत ढाई से चार लाख के बीच बताई जा रही है। इनमें से ज्यादातर राजस्थान और कुछ दूसरे राज्यों से खरीदे गए। पीटीसी में आने के बाद इन्हें महाभारत और रामायणकालीन वीरों के नाम दिए गए थे। पवन नाम के एक घोड़े की जांच हुई तो वह उठकर खड़ा तक नहीं हो पाया। यही हाल गंधर्व और अभिमन्यु का था। काफी देर पूंछ उमेठने के बाद उन्हें खड़ा किया जा सका, तब उनकी जांच की गई। आईवीआरआई की टीम ने ऐसे 24 घोड़ों के साथ यहां से बाहर भेजे गए घोड़ों की जांच भी हिसार (हरियाणा) स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में कराने की सिफारिश की है।
महाकुंभ में भी भेजे गए है ये घोड़े
पीटीसी सीतापुर में खरीदकर लाए गए 62 घोड़ों में से कुछ को प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में भी भेजा गया है। कुछ को पीटीसी कानपुर और पीटीएस मुरादाबाद भी भेजा गया है। आईवीआरआई के चिकित्सकों का कहना है कि इन सभी घोड़ों की जांच की जरूरत है। क्योंकि सवारी के दौरान अगर कहीं कोई घोड़ा गिर गया तो उसके साथ उसका सवार भी गंभीर घायल हो सकता है।
दांतों पर पॉलिश कर बेच दिए घोड़े
पशु चिकित्सकों के मुताबिक एक स्वस्थ घोड़ा 30-35 साल की उम्र तक फर्राटा भर सकता है। उसके बाद उम्र ढलने के साथ उसकी ताकत जवाब देने लगती है। पीटीसी सीतापुर में अधिकतर घोड़ों में यही लक्षण हैं। साफ लग रहा है कि खरीदने से पहले उनकी सेहत की कोई जांच नहीं की गई। जांच में यह भी पता चला कि बेचने वालों ने कुछ घोड़ों के दांतों पर पॉलिश कर उन्हें बेच दिया।
यह भी पढ़ें- बरेली: प्रेमिका से मिलने पहुंचे युवक की हो गई कुटाई, लड़की को भी परिजनों ने खूब पीटा...जानिए पूरा मामला