अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयास
भू-राजनीति बेहद कठिन है। गाजा में युद्ध को एक साल से अधिक समय बीत चुका है। पिछले 14 महीनों के दौरान इस युद्ध को रोकने के लिए अथक प्रयास किए गए हैं। उनमें कोई सफलता नहीं मिली है। मंगलवार देर रात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इजराइल और लेबनान की सरकारों ने युद्ध विराम के लिए वाशिंगटन के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। उम्मीद बनी है कि युद्ध विराम समझौता गाजा में युद्ध को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। गौरतलब है कि युद्ध की शुरुआत से ही इजराइली इस बात पर जोर देते रहे हैं कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव उन्हें अपने युद्ध के लक्ष्यों को प्राप्त करने से नहीं रोक पाएगा।
इजरायली संकेत देते हैं कि उन्होंने हमास के दो-तिहाई लड़ाकों को मार दिया है या घायल कर दिया है और गाजा में समूह की चौबीस बटालियनों में से सत्रह को नष्ट कर दिया है। वास्तव में गाजा में युद्ध संयुक्त राष्ट्र के लिए भी सबसे बड़ी तनाव परीक्षा है। गौरतलब है कि दुनिया आज भी युद्ध के भयावह मंजर देख रही है। एक दूसरे पर महीनों से हमले कर रहे देशों को रोक पाने में संयुक्त राष्ट्र असफल रहा है। मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक, टोर वैनेसलैंड ने पिछले दिनों कहा कि हम उस बिन्दु पर हैं, जहां कूटनीति विफल हो गई है और यह सुरक्षा परिषद के काम में भी परिलक्षित हुआ है। उनका मानना है कि इजराइल और फ़लस्तीनियों के बीच शांति की अब भी संभावना है और यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप दो-देश समाधान अब भी व्यवहार्य है, अलबत्ता इसे कमज़ोर करने के प्रयास किए गए हैं। हर कोई युद्ध विराम की आवश्यकता महसूस कर रहा है। भारत ने हमेशा इसकी वकालत की।
भारत ने संकेत दिया है कि वह अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयास के लिए सार्थक योगदान देने के लिए तैयार है। हमेशा कूटनीति और निर्णय लेने के माध्यम से ही टकराव से बाहर निकलने की आवश्यकता होती है, जिससे आगे का रास्ता निकलता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इटली में कहा कि सामूहिक प्रयासों के युग में, हिंद-प्रशांत को व्यावहारिक समाधान, चतुर कूटनीति, अधिक समायोजन व अधिक स्वतंत्र वार्ता की आवश्यकता होगी। हिंद-प्रशांत क्षेत्र आज व्यापक सहयोगात्मक दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित करता है। इजराइल व लेबनान के बीच समझौता पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का प्रयास है। उम्मीद है कि यह समझौता दोनों देशों के बीच जारी हिंसा, विनाश और पीड़ा को समाप्त कर सकेगा।