पीलीभीत: अब गैंडों से भी गुलजार होगा पीलीभीत टाइगर रिजर्व, बराही, माला, महोफ का होगा सिक्योरिटी ऑडिट
पीलीभीत, अमृत विचार। यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आने आने वाले दिनों में पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ गैंडों का कुनबा भी देखने को मिलेगा। पिछले दिनों टाइगर रिजर्व प्रशासन द्वारा गैंडा पुर्नवास परियोजना के भेजे गए प्रस्ताव को शासन ने संज्ञान में लेते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व की तीन रेंजों में सिक्योरिटी ऑडिट कराने का निर्णय लिया। इसको लेकर शासन द्वारा गठित सिक्योरिटी ऑडिट टीम कभी भी यहां आकर सर्वे कर सकती है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व अपनी जैवविविधता के लिए देश-दुनिया में मशहूर है। 73 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फैले रुहेलखंड के एक मात्र सघन जंगल को जून 2014 में टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था। तबसे यहां बाघों समेत अन्य वन्यजीवों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के एक तरफ नेपाल की शुक्ला फांटा सेंचुरी है। इंडो-नेपाल की खुली सीमा होने के चलते नेपाल से गैंडा, हाथी एवं अन्य वन्यजीव एक-दूसरे देश की सीमा में आते-जाते रहे हैं। हालांकि खुली सीमा से एक-दूसरे देश की सीमा में आने वाले वन्यजीवों की संख्या में अब कमी देखी जा रही है।
इधर पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बेहतर ग्रासलैंड होने के चलते टाइगर रिजर्व प्रशासन ने गैंडा पुर्नवास की कवायद शुरू की है। पिछले दिनों दक्षिण भारत से आई एक टीम भी इसको लेकर यहां आई थी। बीते माह टाइगर रिजर्व प्रशासन ने पीलीभीत टाइगर रिजर्व की तीन रेंजों को गैंडा पुर्नवास के उपयुक्त मानते हुए एक गैंडा पुर्नवास योजना का प्रस्ताव तैयार कर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) को भेजा था। इधर शासन ने भी भेजे गए प्रस्ताव को गंभीरता से लिया है और पीलीभीत टाइगर रिजर्व की महोफ, बराही एवं माला रेंज को सिक्योरिटी ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। वन अफसरों के मुताबिक सिक्योरिटी ऑडिट शासन द्वारा नामित अफसरों की टीम द्वारा किया जाएगा। संभावना जताई जा रही है जल्द ही टीम यहां पहुंचकर तीनों रेंजों को सिक्योरिटी ऑडिट करेगी।हालांकि इससे पूर्व भी पीलीभीत टाइगर रिजर्व में गैंडा पुर्नवास के प्रयास किए गए थे। तत्कालीन प्रमुख सचिव आलोक रंजन ने गैंडा परियोजना लागू करने में दिलचस्पी ली थी। उस दौरान महोफ एवं बराही रेंज को मुफीद पाते हुए स्थान चिन्हित करने के निर्देश भी दिए गए थे। बाउंड्री सर्वे भी कराया गया, लेकिन सबकुछ ठंडे बस्ते में चला गया था।
कॉरिडोर पर बढ़ी इंसानी दखलंदाजी, नदी के इस पार नहीं आते अब नेपाली गैंडे
पिछले कुछ साल पहले तो नेपाली गैंडों को बराही का लग्गा-भग्गा क्षेत्र इतना रास आ गया था कि वे यहां से वापस ही नहीं जाते थे। स्थानीय वनकर्मियों से सूचना मिलने के बाद शुक्ला फांटा सेंचुरी के वनकर्मी हाथियों की मदद से इन गैंडों की को बमुश्किल किसी तरह वापस ले जाते थे। फिलहाल गैंडे अभी भी आते हैं, मगर, अब गैंडे लग्गा-भग्गा क्षेत्र तक ही सीमित हैं। जंगल से जुड़े जानकारों के मुताबिक तीन-चार साल पहले तक गैंडे शारदा नदी के इस पार भी आ जाते थे, मगर उनके कॉरिडोर पर बढ़ती इंसानी दखलंदाजी के चलते गैंडों के नदी के इस पार आने का सिलसिला ही थम चुका है।
गैंडा पुनर्वासन की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर गैंडा पुर्नवास योजना का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया था।शासन ने प्रस्ताव को संज्ञान में लेते हुए तीन रेंजों का सोशल ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। इन्हीं तीन रेंजों में गैंडा पुर्नवास योजना प्रस्तावित है। - मनीष सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व
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