Baby Care: बच्चों को तेज दिमाग और मजबूत शरीर देने के लिए मां को करना होगा यह काम, डॉक्टर देंगे ट्रेनिंग
लखनऊ, अमृत विचार। नवजात शिशु का स्वास्थ्य और जीवन कैसा रहेगा, यह बहुत कुछ उसकी देखभाल पर निर्भर करता है और मां से बेहतर एक बच्चे की देखभाल कोई और नहीं कर सकता है। ऐसे में बच्चे का जन्म होते ही मां की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। बच्चे के जन्म के बाद से ही मां को सावधान रहना चाहिए, शिशुओं के दैनिक जीवन की गतिविधियों पर ध्यान रखना चाहिए।
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— Amrit Vichar (@AmritVichar) November 18, 2024
यह कहना है डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. दीप्ती अग्रवाल का। वह सोमवार को संस्थान के प्रशासनिक भवन स्थित सभागार में आयोजित डेवलपमेन्ट सपोर्टिव केयर/फैमिली पार्टिसेपेटरी केयर पर आधारित उत्तर प्रदेश का पहले ''प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण'' की दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं।
इस दौरान उन्होंने कई ऐसी विशेष जानकारियां दी, जिससे एक मां अपने नवजात शिशुओं की देखभाल कर उनको स्वस्थ जीवन दे सकती है। उन्होंने बताया कि शिशु की नाभि पर किसी प्रकार के तेल या पर्दाथ का प्रयोग न करें, उसे सूखा रखें। काजल न लगाएं। बच्चे को ऊनी कपड़ों के नीचे सूती कपड़ों की एक परत पहनाएं। मालिश के स्थान पर हल्के हाथों से तेल लगाएं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि जन्म के समय बहुत से बच्चों को एसएनसीयू (Special Newborn Care Unit) में रखना पड़ता है। इनमें वह नवजात शामिल होते हैं, जिनका वजन कम होता है, निमोनिया, पीलिया या फिर कोई जन्मजात बीमारी से ग्रसित होते हैं।
10 फीसदी बच्चों की हो जाती है मौत
डॉ. दीप्ती के मुताबिक एसएनसीयू में भर्ती रहे कुल बच्चों में से 10 फीसद बच्चों की घर जाने के बाद उचित देखभाल न होने और संक्रमण की वजह से मौत तक हो जाती है। ऐसे बच्चों को बचाने के लिए और अन्य शिशुओं के उचित देखभाल के लिए जिससे उन्हें मानसिक और शारीरिक बीमारी से बचाया जा सके, इसके लिए हमलोग ने एक ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया है।
जिसका प्रशिक्षण सबसे पहले बाल रोग विशेषज्ञों और नर्सों को दिया जा रहा है। इसके बाद यह डॉक्टर अपने-अपने अस्पतालों में जाकर वहां के स्टाफ और एसएनसीयू में भर्ती नवजात के माताओं को देंगे। जिससे बच्चों की देखभाल की सटीक और सरल जानकारी सभी माता-पिता को समान रूप से मिल सकेगी। इसका फायदा नवजात की अच्छी सेहत के रूप में स्वयं नवजात और उसके परिवारों को मिलेगा।
शिशुओं के लिए अच्छी नींद जरूरी
इस दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने किया। इस अवसर पर लोहिया संस्थान के निदेशक प्रो.सीएम सिंह मौजूद रहे। कार्यशाला के दौरान डॉ. अशोक कुमार गुप्ता ने नवजात शिशुओं के लिए अच्छी नींद को बहुत जरूरी बताया है। ऐसे में शिशुओं को आरामदायक नींद आये, इसके लिए जहां उनके सोने का स्थान हो वहां कम रौशनी और शांति होनी चाहिए, शोर बिलकुल नहीं होना चाहिए। इसके अलावा त्वचा से त्वचा का संपर्क बच्चे के सुरक्षित नींद को बढ़ावा देता है, इसलिए मां अपने बच्चे के साथ रहती है तो उसके सोने की अवधि अच्छी रहेगी।
नवजात के दर्द और तनाव की पहचान जरूरी
डॉ शालिनी त्रिपाठी ने बताया नवजात शिशु में दर्द और तनाव के संकेतों को जानना महत्वपूर्ण है। नवजात शिशुओं में भूख के समय हाथ से मुंह दबाना एक संकेत है। शिशु अकेले आरामदायक होने पर कंबल लपेटना, उंगली और पैर दबाना नवजात का व्यवहार होता है, जिसे समझना आवश्यक है।
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