Kannauj: गबन के आरोपी बीडीओ ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय में संबद्ध, सीडीओ ने अमित सिंह को किया रिलीव

कोतवाली में केस दर्ज होने के बाद डीएम ने किया था तबादला, लेखाकार व जेई भी हैं नामजद

Kannauj: गबन के आरोपी बीडीओ ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय में संबद्ध, सीडीओ ने अमित सिंह को किया रिलीव

कन्नौज, अमृत विचार। आंगनबाड़ी केंद्र के भवन निर्माण के नाम पर पांच लाख 59 हजार 318 रुपये गबन करने के आरोपी बनाए गए बीडीओ अमित सिंह जिले से कार्यमुक्त हो गए हैं। उनको ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय में संबद्ध किया गया है। उत्तर प्रदेश शासन ग्राम्य विकास की ओर से 13 नवंबर को जो पत्र जारी हुआ है उसमें कहा गया है कि बीडीओ अमित सिंह को प्रशासनिक आधार पर कार्यालय आयुक्त ग्राम्य विकास से संबद्ध किया जाता है। 

पत्र आने के बाद डीएम शुभ्रान्त शुक्ल ने 15 नवंबर को अनुमोदन दिया और डीसी एनआरएलएम राजकुमार लोधी को उमर्दा के बीडीओ का अतिरिक्त प्रभार देने का आदेश जारी किया है। बताया जा रहा है कि 16 नवंबर को दोपहर बीडीओ अमित सिंह उमर्दा से रिलीव भी हो गए। कहा गया है कि योगदान आख्या लखनऊ में दें। 

दरअसल, भाजपा समर्थित कन्नौज सदर के ब्लॉक प्रमुख रामू कठेरिया ने 27 अक्टूबर की रात पांच लाख 59 हजार 318 रुपये गबन करने की रिपोर्ट कोतवाली में दर्ज कराई थी। इसमें बीडीओ अमित सिंह के अलावा लेखाकार योगेश शुक्ल व आरईडी के जेई संतोष कुमार भी आरोपी हैं। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद डीएम ने बीडीओ को उमर्दा में तैनाती दे दी थी। डीएम के आदेश के बाद सीडीओ राम कृपाल चौधरी ने बीडीओ को कार्यमुक्त कर दिया है।

क्या कहते हैं प्रधान

ग्राम पंचायत टिड़ियापुर के प्रधान कप्तान सिंह चौहान का कहना है कि मजरा खुरदइया के प्राथमिक स्कूल परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र का भवन निर्माण प्रस्तावित हुआ है। बिना निर्माण कार्य कराए करीब 50 फीसदी धनराशि निकाल ली गई। जब मामले की शिकायत हुई तो निर्माण सामग्री मौके पर भेज दी गई। उसमें भी खराब गुणवत्ता की ईंट मुहैया कराई गई है।  

आरोपी लेखाकार की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट से रोक, बीडीओ के मामले में कल आ सकता है निर्णय

कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की हैं। इसमें लेखाकार योगेश शुक्ल के मामले में फिलहाल निर्णय जारी हो गया है। कहा गया है कि पुलिस लेखाकार को गिरफ्तार नहीं करेगी। 

बताया गया है कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता व राज्य प्रतिवादियों के एजीए अधिवक्ताओं को सुना। लेखाकार के अधिवक्ता ने मांग रखी है कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 316 (5), 318 (4) के तहत केस अपराध नंबर 876/2024 के रूप में दर्ज एफआईआर को रद किया जाए। साथ ही याचिकाकर्ता को गिरफ्तार न करने की भी प्रार्थना की गई। तर्क दिया कि योगेश शुक्ल एकाउंटेंट के रूप में काम कर रहे हैं। 

एफआईआर के मुताबिक याचिकाकर्ता और सह-आरोपी ने 5,59,318 रुपये का गबन किया है और उसे निर्माण सामग्री आपूर्तिकर्ताओं के खाते में भेज दिया। रिट में कहा गया है कि याचिकाकर्ता का काम केवल वित्तीय रिकॉर्ड रखना है, जबकि सह-आरोपी का काम बिल वाउचर को मंजूरी देना और उसे लेखा अनुभाग को भेजना है। न तो याचिकाकर्ता निविदा को मंजूरी देने के लिए संवितरण प्राधिकारी है और न ही अनुमोदन प्राधिकारी है। इस मामले में उसकी कोई मिलीभगत नहीं है। इसके अलावा चर्चा है कि बीडीओ अमित सिंह ने भी रिट दाखिल की है। इस मामले में सोमवार को निर्णय आ सकता है। 

शासनादेश का भी बताया उल्लंघन

याचिका में कहा गया है कि एफआईआर भी 19.07.2005 के सरकारी आदेश का उल्लंघन है। एफआईआर के अवलोकन से याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है। हालांकि कार्रवाई लंबित है और वर्तमान मामले में न तो आरोप-पत्र और न ही अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। एजीए ने राज्य प्रतिवादी संख्या एक से दो की ओर से नोटिस स्वीकार कर लिया है। प्रतिवादी संख्या चार को नोटिस जारी किया जाता है, जिसका जवाब जल्द से जल्द मांगा गया है। कहा है कि एक सप्ताह के भीतर कदम उठाया जा सकता है। 

जांच में सहयोग करने को कहा

हाईकोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है। उसके बाद एक सप्ताह का समय जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए मिला है। मामले के सूचीबद्ध होने की अगली तिथि तक या धारा 173 (2) सीआरपीसी (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 193 (3) के तहत पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक, जो भी पहले हो, प्रतिवादियों को आरोपी एफआईआर के तहत याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने से रोका जाता है। हालांकि चल रही जांच में सहयोग करने को कहा गया है।

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