इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : बाद में जारी छूट अधिसूचना का हवाला देकर एकमुश्त कर वापसी की मांग अनुचित
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छूट अधिसूचना के लाभों के लिए निर्धारित पात्रता मानदंडों में स्पष्ट किया कि छूट अधिसूचना से पहले खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहन का मालिक बाद में जारी एकमुश्त कर के भुगतान से छूट देने वाली अधिसूचना का हवाला देकर कर वापसी की मांग नहीं कर सकता।
उक्त आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने अंकुर विक्रम सिंह की याचिका खारिज करते हुए पारित किया। मौजूदा मामले में याची ने 13 अक्टूबर 2022 को खरीदे गए अपने हाइब्रिड वाहन के संबंध में भुगतान किए गए एकमुश्त कर की वापसी की मांग की। यह राहत उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और गतिशीलता नीति, 2022 की अधिसूचना की तारीख यानी 14 अक्टूबर 2022 से खरीदे और पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कर छूट प्रदान करने वाली राज्य द्वारा जारी अधिसूचना के आधार पर मांगी गई थी।
याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि चूंकि वाहन 18 अक्टूबर 2022 को पंजीकृत किया गया था, इस आधार पर याची धन वापसी का हकदार है। हालांकि राज्य के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि छूट अधिसूचना की भाषा के अनुसार अधिसूचना की तारीख यानी 14 अक्टूबर 2022 से वाहन की 'खरीद और पंजीकरण' दोनों की आवश्यकता है। यह तर्क दिया गया कि चूंकि याची का वाहन उक्त तिथि से पहले खरीदा गया था, इसलिए याची धन वापसी का हकदार नहीं है। मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि छूट के उद्देश्य के लिए निर्धारित शर्तें यह हैं कि वाहन इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022 की अधिसूचना की तारीख से यूपी राज्य में खरीदा और पंजीकृत किया जाना चाहिए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि छूट अधिसूचना के लिए निर्धारित पात्रता मानदंडों को सख्ती से लागू किया जाना आवश्यक है।
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