दावे और हकीकत

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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किसानों की परेशानी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। खाद के लिए किसानों को मारामारी झेलनी पड़ रही है। अधिकांश राज्य उर्वरक की आवश्यक मात्रा प्राप्त न होने या आवंटित न होने की शिकायत कर रहे हैं। इस कारण किसान अपनी फसल की बिजाई समय पर नहीं कर पा रहे हैं। मामले की गंभीरता को इस बात से समझा सकता है कि सरकार के दावों के विपरीत देश में डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कमी के चलते कई राज्यों में उर्वरक के लिए कुछ वितरण केंद्रों पर भीड़ को संभालने के लिए पुलिस को तैनात किया जा रहा है। डीएपी भारत में यूरिया के बाद दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है। गौरतलब है कि उर्वरक, पौधों को ज़रूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस और पोटेशियम (एनपीके) देते हैं। इन पोषक तत्वों की वजह से पौधे स्वस्थ रूप से बढ़ते हैं।

डीएपी में 46 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है। किसान इसे बीज के साथ बुवाई के समय डालते हैं। रबी के मौसम के दौरान अनुमानित 60 लाख टन डीएपी का अधिकांश उपभोग अक्टूबर और दिसंबर के मध्य होता है। सरकार की ओर से हर वर्ष  दावे किए जाते हैं कि किसानों को डीएपी को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं आने दी जाएगी। सरकार के दावों के विपरीत किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल रही है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शनिवार को जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसानों को उर्वरकों की कमी नहीं होनी चाहिए। प्रदेश में दो लाख मीट्रिक टन डीएपी और 2.47 लाख मिट्रिक टन एनपीके उपलब्ध है। विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि ओडिसा के पारादीप पोर्ट पर पर्याप्त मात्रा में स्टाक उपलब्ध है, लेकिन रेल की अनुपलब्धता के कारण प्रदेश में उर्वरक नहीं पहुंच पा रहा है।  

दरअसल समय  से उर्वरक के पर्याप्त स्टाक की व्यवस्था की जानी चाहिए। किसानों को विवेकपूर्ण ढंग से यूरिया, डीएपी और म्यूरेट ऑफ़ पोटाश का उपयोग करने से हतोत्साहित किया जाना चाहिए, जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस या पोटेशियम की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है और खाद को लगातार  इस्तेमाल करने या रखने पर पर्यावरण और इंसानों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है। उर्वरक को लेकर, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 जैसे कानून हैं। फिर भी किसानों को राहत पहुंचाने के लिए प्रशासन को सतर्कता बरतनी होगी ताकि खाद की कालाबाजारी न हो सके।