Prayagraj News : 41 साल से उम्र कैद की सजा भुगत रहे आरोपी को किया बरी
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा भुगत रहे एक आरोपी के मामले पर विचार करते हुए कहा कि न्यायिक व्यवस्था और प्रारंभिक जांच की खामियों के कारण बेवजह आरोपियों द्वारा उम्र कैद की सजा भुगतने का एक रिवाज- सा बनता जा रहा है। मौजूदा मामले में कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपी का अपराध सिद्ध करने में सफल नहीं रहा। रिकॉर्ड पर अपीलकर्ता को हत्या का दोषी ठहरने के लिए पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं थे।
इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रारंभिक जांच में खामी के कारण और उपलब्ध साक्ष्यों पर ठीक से विचार न होने के कारण आरोपी को 41 साल की उम्र कैद की सजा भुगतानी पड़ी। अंततः कोर्ट ने 41 साल बाद आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने रामकृष्ण की आपराधीक अपील को स्वीकार करते हुए पारित किया।
मालूम हो कि हमीरपुर के थाना खरेला में 1981 में रामकृष्ण के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में मृतक के पिता ने आरोप लगाया था कि जमीनी विवाद में उसके बेटे बहादुर की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद मुकदमा चलने पर ट्रायल कोर्ट ने 8 मार्च 1983 को आरोपी को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में वर्तमान अपील दाखिल की गई।