Chhath Mahaparva : जोड़े जोड़े फलवा सुरुज देव घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो...
मंत्री नंद गोपाल नंदी ने सिर पर उठाई छठ मईया की दौरी
प्रयागराज, अमृत विचार : जोड़े जोड़े फलवा सुरुज देव घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो ,जोड़े जोड़े फलवा सुरुज देव
घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो। जल बिच खड़ा होई दर्शन ला, आसरा लगावेले हो....। इन्ही गीतों के साथ सूर्योपासना के महापर्व छठ पर पूरा घाट गुंजायमान हो रहा था। नहाए खाए और खरना के बाद गुरूवार को संध्याकाल में 36 घंटे निर्जला व्रत रखने वाली महिलाओं ने घाट पर पहुंचकर छठ मईया की पूजा की और कमर तक पानी प्रवेश कर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवार की मंगलकामना के लिए प्रार्थना की।
वैसे तो मुख्य रूप से पूर्वांचल और बिहार में पुत्रों की दीर्घायु कामना के लिए मनाये जाने वाले महापर्व की शुरुवात मंगलवार की किया। नहाए खाए और खरना के बाद इस महापर्व पर गुरूवार की दोपहर से ही फलों और प्रसाद के साथ पूजन समाग्री से भरी दौरी डाला सिर पर रखकर महिलाएं व उनके पति ढोल नगाड़े के साथ घाट पर पहुंचे। संगम नोज, बलुआघाट व्रती महिलाओं और उनके परिवार से खचाखच भरा रहा। महिलाओं ने घाट पर लेप बनाकर गन्ने की छावनी बनाकर छठी मईया की पूजा की। पूजन कर बाद कमर तक पानी में उतरकर अस्ताचल डूबते हुए भगवान आदित्य(सूर्य) को संध्याकाल में अर्घ्य दिया। नैनी के अरेल घाट पर पहुंचे प्रदेश के।कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी और उनकी पत्नी अभिलाषा गुप्ता ने भी छठ की पूजा की। मंत्री नंदी ने भी सिर पर छठ मईया की दौरी को उठाया और मंगलकामना की।
ठेकुआ व चावल के लड्डू का लगाया भोग
कहते है कि छठ पर भगवान सूर्य की उपासना और पूजन करने से संतान प्राप्ति, संतान के जीवन की रक्षा, सुख समृद्धि का फल प्राप्त होता है। यह छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन सुबह से अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। पूजा में प्रसाद के लिए ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाया जाता हैं। छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी में तमाम प्रकार के फल, फूल को डाला में सजाया जाता है। वहीं एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखकर सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की जाती हैं। अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल भी चढ़ाते है।
घाट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम
छठ पर्व को लेकर प्रयागराज कमिश्नरेट की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं। संगम और बलुआघाट बारादरी में भारी पुलिस फोर्स व सादे पोशाक में पुलिस के जवानों को लगाया गया।स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी इस पर्व पर पुलिस का विशेष सहयोग किया। पर्व पर घाट के किनारे आतिशबाजी करने पर रोक लगाई गयी थी। आतिशबाजी के लिए घाट से कुछ दूर मैदान मे व्यवस्था की गयी थी। भिड़ और यातायात को देखते हुए मुख्य चौराहों र बैरिकेडिंग और पार्किंग की व्यवस्था भी बनाई गयी है। जिससे भीड़ होने पर यातायात प्रभावित न हो