हरिद्वार: पत्नी की आयु कम बताकर बीमा कराना पड़ा महंगा, राज्य उपभोक्ता आयोग ने खारिज किया मामला

हरिद्वार: पत्नी की आयु कम बताकर बीमा कराना पड़ा महंगा,  राज्य उपभोक्ता आयोग ने खारिज किया मामला

हरिद्वार, अमृत विचार। एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी की उम्र को कम बताकर भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) से बीमा पॉलिसी लेने की कोशिश नाकाम हो गई। बीमा पॉलिसी के दावे को लेकर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिए गए फैसले को राज्य उपभोक्ता आयोग ने खारिज कर दिया, जिससे बीमा कंपनी को राहत मिली। 

घटना 2014 की है, जब हरिद्वार के निवासी ने अपनी पत्नी के लिए LIC से "आम आदमी बीमा योजना (जननी)" के तहत 30,000 रुपये की बीमित राशि के साथ पॉलिसी खरीदी। पॉलिसी की शर्तों के अनुसार, बीमा केवल 18 से 59 साल के व्यक्तियों के लिए था, लेकिन पॉलिसी लेते समय पत्नी की वास्तविक आयु 70 वर्ष थी, जबकि उसे 56 वर्ष बताया गया। 

बीमित महिला का जुलाई 2014 में निधन हो गया, जिसके बाद उनके परिवार ने बीमा दावा किया। पॉलिसी जारी करते वक्त गलत उम्र घोषित किए जाने की वजह से बीमा कंपनी ने दावा खारिज कर दिया। LIC का कहना था कि यदि सही उम्र बताई जाती तो पॉलिसी कभी नहीं दी जाती। 

पारिवारिक सदस्यों ने इस मामले को लेकर जिला उपभोक्ता आयोग में अपील की, जहां अगस्त 2020 में आयोग ने उनके पक्ष में निर्णय देते हुए LIC को 50,000 रुपये मुआवजा और 6 प्रतिशत ब्याज के साथ जमा करने का आदेश दिया। साथ ही 5,000 रुपये मुकदमा खर्च भी देने की बात की गई थी। 

हालांकि, LIC ने राज्य उपभोक्ता आयोग में इस फैसले के खिलाफ अपील की और दलील दी कि पॉलिसी आवेदन में बीमित व्यक्ति को अपनी आयु की घोषणा स्वयं करनी होती है। राज्य उपभोक्ता आयोग ने ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में महिला का जन्म प्रमाणपत्र देखा, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि महिला की असल आयु 69 वर्ष थी, और इसलिए बीमा कंपनी ने किसी प्रकार की कोताही नहीं की। 

आखिरकार, राज्य उपभोक्ता आयोग ने जिला आयोग के फैसले को निरस्त करते हुए बीमा कंपनी के पक्ष में निर्णय दिया। आयोग ने माना कि बीमाधारक ने अपनी आयु गलत घोषित की थी, और इस कारण बीमा कंपनी ने सही निर्णय लिया। 

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