UP Urdu Academy: सरकारी खाते से पैसे उड़ा रहे सचिव, कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार समेत लगाए कई गंभीर आरोप, CM करेंगे शिकायत
लखनऊ, अमृत विचार: उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी में दफ्तर के भीतर चल रहा हंगामा अब दफ्तर के बाहर निकल आया है। कल यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच जाएगा। सचिवालय के अनुभाग अधिकारी (उर्दू) को उर्दू अकादमी के सचिव का चार्ज दिये जाने के बाद से ही अकादमी में विवाद की शुरुआत हो गई थी। अब तो हालात यहां तक पहुंच गए कि मंगलवार को अकादमी के सभी कर्मचारियों ने लिखापढ़ी में कार्य बहिष्कार की घोषणा करते हुए शौकत अली के साथ काम करने से इनकार कर दिया। कर्मचारियों ने अकादमी सचिव पर भ्रष्टाचार समेत गम्भीर आरोप लगाए हैं। उर्दू अकादमी के साथ-साथ उर्दू आईएएस स्टडी सेंटर और कम्प्यूटर सेंटर के सभी कर्मचारियों ने अकादमी गेट पर विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को भेजी जा रही चिट्ठी पर अपने हस्ताक्षर किये।
मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में अकादमी कर्मचारियों ने बताया है कि छह माह पूर्व सचिवालय के अनुभाग अधिकारी सचिव बनकर अकादमी में आये तो उन्होंने जरूरी कामों को किनारे कर ऐसे काम शुरू किये जिन्हें किये जाने का अवसर नहीं है। अकादमी में एकाउंट और छात्रवृत्ति का साफ्टवेयर बनवाने के लिए उन्होंने दो बार टेंडर कराया और दोनों बार निरस्त करना पड़ा, लेकिन 20 से 25 लाख रुपये के इस काम में इनकी इतनी रूचि है कि तीसरी बार टेंडर अपलोड करा दिया। जबकि किसी भी साफ्टवेयर की अप्रैल 2025 से पहले जरूरत ही नहीं है। इतनी बड़ी राशि के खर्च के लिए चेयरमैन की अनुमति जरूरी है। मौजूदा समय में अकादमी में कोई चेयरमैन नहीं है लेकिन फिर भी सचिव टेंडर कराने को आतुर हैं।
कर्मचारियों का आरोप है कि मुशायरों और सेमिनार के नाम पर वह कनिष्ठ लिपिकों की कमेटी बनाकर धन स्वीकृत कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि जिलों में उर्दू के प्रचार-प्रसार के लिए 45 लाख रुपये का बजट है। पूर्व सचिव ने चेयरमैन के अभाव में इस काम से हाथ खींच लिए थे लेकिन मौजूदा सचिव कर्मचारियों पर इस बजट के इस्तेमाल के लिए दबाव बना रहे हैं।
इसी तरह से आईएएस स्टडी सेंटर में सेवा प्रदाता कम्पनी में 50 प्रतिशत धन का भुगतान किया गया था। शेष धनराशि का भुगतान दिसम्बर के बाद किया जाना था, लेकिन सचिव ने तीन महीने पहले ही पूरा भुगतान कर दिया। कर्मचारियों का कहना है कि नये बैच की कक्षाएं 15 अक्टूबर को शुरू हुई हैं। जब कोचिंग देने वाले को पहले ही पूरा भुगतान मिल गया है तो फिर शिक्षा की गुणवत्ता कैसे कायम रह पायेगी। कर्मचारियों ने विरोध किया तो उन्हें प्रतिकूल प्रविष्टि देने और नौकरी से निकलवा देने की धमकियां दी गईं।
कर्मचारियों का आरोप है कि सचिव मनमाने ढंग से आउटसोर्सिंग पर नियुक्तियां भी कर रहे हैं। उन्होंने आईएएस स्टडी सेंटर में कोआर्डीनेटर और लाइब्रेरियन के पद पर नियुक्तियां कर लीं जबकि लाइब्रेरियन का पद ही नहीं है। अकादमी कर्मचारियों ने सचिव पर कई अन्य गंभीर आरोप भी लगाए हैं।
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