कश्मीर में आतंकवाद

कश्मीर में आतंकवाद

पड़ोसी देश पाकिस्तान, जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन को नुकसान पहुंचाने की लगातार कोशिश कर रहा है। कुछ दिनों पहले जम्मू क्षेत्र को लगातार हिंसा का शिकार बनाने वाले आतंकवादियों ने रणनीति बदलकर कश्मीर को फिर से निशाने पर ले लिया है। इन खतरनाक मंसूबों से आतंकवादियों ने सरकार व सुरक्षाबलों को चौंकाया है। बीते दिन श्रीनगर से लेकर अनंतनाग तक भारतीय सेना की आतंकियों के साथ 36 घंटे तक मुठभेड़ हुई और अब श्रीनगर में एक और धमाका हो गया।

ऐसे में जम्मू कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। लगातार एक के बाद एक आतंकी हमले सामने आ रहे हैं। चिंता की बात है कि जम्मू कश्मीर की जनता दहशत में जीने को मजबूर है। निश्चित रूप से श्रीनगर के लाल चौक के निकट ‘संडे मार्केट’ में निर्दोष खरीदारों पर ग्रेनेड हमले की घटना परेशान करने वाली है।

सुरक्षा तंत्र को आतंकवादी वारदातों पर तेजी से रोक लगाने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए ताकि लोग बिना किसी डर के अपना जीवन जी सकें। इसमें दो राय नहीं कि आतंकवादियों ने यह साजिश सुनियोजित ढंग से की है। लगातार हो रहे आंतकी हमलों की ज़िम्मेदारी जैश-ए-मुहम्मद से जुड़े संगठनों कश्मीर टाइगर्स और पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट ने ली है। चाहे बात प्रवासी मजदूरों को गोली मारने की हो या फिर सेना के साथ मुठभेड़ या सेना के काफिले पर हमले की। 

बीते कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं। बीते शुक्रवार को आतंकियों ने दो प्रवासी मजदूरों को गोली मार दी। रविवार का ग्रेनेड हमला लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक वरिष्ठ पाकिस्तानी आतंकवादी कमांडर उस्मान लश्करी उर्फ छोटा वलीद के श्रीनगर के पुराने शहर में सुरक्षा बलों द्वारा मारे जाने के एक दिन बाद हुआ। इसमें संदेह की   नहीं है कि चाहे कुछ भी हो पाकिस्तान अपनी नापाक नीति से बाज आने वाला नहीं है। हमलों की इन घटनाओं में तेजी से निपटना जरूरी है। क्योंकि अगर ये जारी रहते हैं तो पूरे क्षेत्र में अगस्त 2019 के बाद से प्राप्त की गई उपलब्धियां बेकार चली जाएंगी।

ऐसे हालात में केंद्र तथा केंद्र शासित प्रदेश की सरकार को शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मिलकर कार्य करने की जरूरत है। निश्चित रूप से यहां की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले पर्यटकों और प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षा को लेकर आश्वस्त करना जरूरी है। आतंकवाद से मुकाबला सिर्फ जवाबी कार्रवाई से नहीं बल्कि सक्रिय रणनीति से किया जाना चाहिए।