अयोध्या: युवाओं ने संभाल रखी है 135 साल पुरानी रामलीला की धरोहर

नगर के कुछ सनातनियों ने शुरू की थी रामलीला, तमाम यादों को समेटे हुए सबसे पुरानी रामलीला 

अयोध्या: युवाओं ने संभाल रखी है 135 साल पुरानी रामलीला की धरोहर
दशकों पहले होने वाली रामलीला में ऐसे होता था मंचन ( फाइल फोटो)

भेलसर/रुदौली, अमृत विचार। आधुनिकता के इस युग में रुदौली की 135 वर्ष पुरानी रामलीला की परंपरा आज भी बरकरार है। आगामी 3 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर को प्रभु राम के राज्याभिषेक से समाप्त होने वाली श्री रामलीला समिति रुदौली की रामलीला मंचन का इतिहास काफी पुराना है।
यहां 135 साल पहले नगर के सनातनियों द्वारा रामलीला मंचन की शुरुआत की गई थी। पुरखों द्वारा शुरू की गई इस विरासत को अब नगर के युवा संभाले हुए हैं। श्री रामलीला समिति में वर्तमान में 100 से अधिक की संख्या में कलाकार है जो रामायण से जुड़े सभी किरदारों का अभिनय कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।  

वर्तमान में रामलीला मंचन की जिममेदारी मृदुल अग्रवाल ने संभाल रखी हैं। उन्होंने ने बताया कि यहां रामलीला प्रदेश की सबसे हाईटेक रामलीला में से एक है। यहां रामलीला में विशेष प्रभावों का उपयोग किया जाता है। बताया कि यहां आने वाली भीड़ में 80 प्रतिशत युवा होते हैं। हम विशेष प्रभाव, संगीत और ध्वनि प्रणाली के साथ त्रेता युग के दृश्य बनाते हैं। जब लड़ाई के दृश्यों का अभिनय किया जाता है, तो हमारे विशेष प्रभाव सुर्खियों में आ जाते हैं, खासकर जब हमें किसी को आकाश में उड़ते हुए और दुश्मनों को मारते हुए दिखाना होता है। बताया भगवान राम को लंका जाते हुए दिखाते हुए समुद्र में लहरें पैदा करने का भी प्रबंधन करते हैं। यह रामलीला कमलेश मिश्रा के निर्देशन एवं लक्ष्मी पति अग्रवाल की अध्यक्षता में होती है। 

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अयोध्या : 2001 से शुरू हुआ रामलीला का इस तरह से मंचन

बाबा और पिता बनते थे राम अब पौत्र निभाता है किरदार  
रामलीला मंचन में 2007 से लक्ष्मण और 2016 से प्रभु श्रीराम का अभिनय निभाने वाले अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि इस रामलीला में उनके पिताजी ने एवं उनके बाबा ने भी अभिनय किया है। बाबा और पिता भी राम और लक्ष्मण का अभिनय करते थे। रावण का अभिनय करने वाले अनुराग अग्रवाल ने बताया कि पूर्वजों के समय से चली आ रही रामलीला के मंचन को अब नगर के युवाओं द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है। 80 के दशक में रावण एवं दशरथ का अभिनय करने वाले 82 वर्षीय राम प्रकाश गर्ग ने बताया कि रामलीला कोई पेशेवर अभिनय नही है सब अपनी मेहनत और अभ्यास तथा पूर्व कलाकारों से प्राप्त प्रशिक्षण से ही अभिनय करते है। 70 वर्षीय सुधीर अग्रवाल जो 80 के दशक मे कई महत्वपूर्ण पात्रों का अभिनय कर चुके है। बताया मंच पर हर चौपाई से लेकर डायलाग को कलाकार विल्कुल सही तरीके से बोलता है। हमारी रामलीला का मंचन राधे श्याम द्वारा रचित रामायण आधार पर होती है।

कभी लालटेन और पेट्रोमैक्स में होता था रामलीला का मंचन 
रामलीला में लगभग 4 दशक से अभिनय करने वाले 75 वर्षीय पंडित जुगल किशोर शर्मा ने बताया कि करीब सात दशक पहले रामलीला का मंचन रात को मशाल, लालटेन, पैट्रोमैक्स की रोशनी में किया जाता था. जनता भी काफी उत्सुकता और धार्मिक भावना से रामलीला का लुत्फ उठाती थी।  80 के दशक में हनुमान जी का अभिनय करने वाले प्रहलाद अग्रसेनी ने बताया की पहले बहुत भीड़ होती थी। 8  - 10 हजार लोग रामलीला देखने आते थे परंतु अब हर गांव में दुर्गा पूजा होने के कारण यह भीड़ 3 - 4 हजार में सिमट कर रह गई है।

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