बाराबंकी: 12 साल पहले बाघ को भगाया, आज जंगली जानवर हावी

खुद की बच्चों की थी चिंता अब पशुओं की भी करें रखवाली

बाराबंकी: 12 साल पहले बाघ को भगाया, आज जंगली जानवर हावी

बाराबंकी, अमृत विचार। जंगली जानवर की दहशत से ग्रामीण उबर नहीं पा रहे। एक के बाद एक कोई न कोई ऐसी घटना हो जा रही जो डर को और बढ़ा देती है। दिक्कत यह कि अब तक लोग परिवार के सदस्यों व बच्चों के लिए चिंता में डूबे हुए थे। अब पालतू पशुओं की जान पर बना संकट उन्हें दोहरा किए दे रहा। लिहाजा अब ग्रामीण पशुओं की रखवाली बढ़ा रहे। वहीं ग्रामीणों की फिक्र से बेपरवाह वन विभाग काबिंग में जुटा हुआ है। यह वही जिला है जहां से खदेड़ा गया बाघ फैजाबाद में ढेर कर दिया गया था, उसी जिले में जंगली जानवर विभाग को गच्चा देता फिर रहा है।

साल 2012 में बाराबंकी में सक्रिय हुए बाघ ने खासी दहशत पैदा कर दी थी उसने जाने कितने ही जानवरों को अपना निवाला बनाया। इसके हमलों को देखते हुए जब रणनीति बनी तो वन विभाग के शूटर हाथी पर सवार होकर बाघ के पीछे पड़ गए आखिरकार बाघ को दुम दबाकर जंगल के रास्ते फैजाबाद भागना पड़ा, जहां शूटर ने इसे ढेर कर दिया था क्योंकि यह बाघ बहुत हिंसक हो गया था। उसी जिले का हाल यह है कि सियार जैसे जंगली जानवरों ने नाक में दम कर रखा है। ग्रामीण अपनों की रखवाली के लिए बिना रात भर सोए पहरेदारी करने को विवश हैं। 

जबसे जंगली जानवर ने पशुओं पर हमला बोलना शुरू किया तबसे ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है। अब विवश होकर वह पशुओं की रक्षा की भी रणनीति बना रहे। बीते एक सप्ताह से कोई दिन ऐसा नहीं गुजरा जब ग्रामीण ठीक ढंग से नींद ले पाए हों, बच्चों का घर से बाहर निकलना बंद है स्कूल जाने की बात कौन करे। वहीं वन विभाग अब तक सिर्फ कांबिग की कर रहा है। पिंजरे लगाए गए पर जंगली जानवर उसके आस पास नहीं फटका। हालांकि विभाग ने भेड़िया होने को कोरी अफवाह बताते हुए दावा किया है कि इसके होने की कहीं भी पुष्टि नहीं हुई है। वहीं विभिन्न ग्रुपों के माध्यम से भेड़िए के हाेने से इंकार किया जा रहा है। 

राजा भेड़िया के पास ही रहते हैं सियार
मंत्रिमंडल के लिए राजा की जी हुजूरी जैसे जरूरी है उतना ही सियार का भेड़िया के इर्द गिर्द रहना भी। जिस तरह बारिश में कीड़े मकोड़े व जीव जंतु ठिकाना बदलते हैं उसी तरह ज्यादा बारिश होने पर जंगल में रहने वाले भेड़िया व सियार भी। यही वजह है कि सप्ताह भर से अधिक समय से बाराबंकी के सीमावर्ती इलाकों पर जंगली जानवर सक्रिय हैं, यह अलग बात है कि अब तलक भेड़िये का होना किसी भी रूप में साबित नहीं हो सका है पर यह कहना कि उसकी मौजूदगी नहीं है गलत होगा। सियारों का झुंड वहीं होगा जहां उनका राजा भेड़िया साथ रहेगा। यह भी आम है कि हिंसक प्रवृत्ति के सियार के लिए बच्चों का शिकार करना काफी आसान होता है। पूर्व निदेशक सामाजिक वानिकी रूस्तम परवेज बताते हैं कि बारिश में भेड़िया, सियार जंगल छोड़ देते हैं, लेकिन यह रहते जंगली क्षेत्र में ही हैं। खासकर अंधेरा घिरते ही यह सक्रिय हो जाते हैं। पकड़ने के लिए पिंजरा भले ही लगा दिया जाए पर इनकी मर्जी ही चलेगी, भेड़िये के आस पास रहना इनकी खास आदत है।  

मां बेटी पर हमला करने वाला जानवर मारा गया
हरख क्षेत्र अंतर्गत लालपुर मजरे इब्राहिमाबाद गांव में जंगली जानवर ने एक महिला समेत दो किशोरियों पर हमला कर जख्मी कर दिया। एकत्र हुए ग्रामीणों ने जंगली जानवर को मार डाला। जानवर बिज्जू बताया जा रहा है। वन क्षेत्र हरख के अंतर्गत गोछोरा व भगवान पुर में देखे जाने के बाद जंगली जानवर की दहशत से लोग डरे हुए थे कि बीती रात लालपुर गांव में जंगली जानवर पहुंच गया, जहां पर बरामदे में सो रही मिथिलेश कुमारी पत्नी शिवबरन व पुत्री वंदना 14 वर्ष पर उसने हमला बोला। जानवर ने महिला के हाथ में काटने के साथ ही उसकी बेटी को भी जख्मी कर दिया। शोर सुनकर एकत्र लोगों द्वारा खदेड़े जाने पर इसने पड़ोसी राम सजीवन रावत की पुत्री कोमल पर भी उछल कर हमला किया। तभी पिता राम सजीवन रावत ने उसकी लंबी पूछ पकड़ कर पटक दिया जिससे वह मौके पर ही मारा गया। सूचना पाकर पूरा गांव एकत्र हो गया, वहीं जख्मी मां बेटी को एंबुलेंस द्वारा इलाज के लिए सीएचसी भेजा गया। सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम जानवर को लेकर चली गई। इस संबंध में डिप्टी रेंजर वीर भगत ने बताया कि जंगली जानवर बिज्जू प्रतीत हो रहा।

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