किसानों की आय बढ़ाना उद्देश्य

किसानों की आय बढ़ाना उद्देश्य

कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए लगभग 14 हजार करोड़ रुपये के परिव्यय वाले सात बड़े कार्यक्रम देश में कृषि विकास के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण करेंगे। सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इन कार्यक्रमों को मंजूरी दी गई। इन व्यापक कृषि कार्यक्रमों का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है।

कार्यक्रमों का ध्यान मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा, जलवायु बदलावों से तालमेल बैठाने, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन और डिजिटलीकरण के साथ बागवानी और पशुधन क्षेत्रों के विकास पर होगा। इनमें 2,817 करोड़ रुपये का डिजिटल कृषि मिशन और फसल विज्ञान के लिए 3,979 करोड़ रुपये की योजना शामिल है। डिजिटल कृषि मिशन का प्रक्षेपण शुरू में 2021-22 में करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कोविड-19 प्रकोप के कारण इसे स्थगित कर दिया गया।

मिशन का एक घटक किसानों की रजिस्ट्री बनाना है, जिसमें प्रत्येक किसान को एक विशिष्ट पहचान पत्र दिया जाएगा। एक पायलट परियोजना 6 जिलों में शुरू की गई है -उत्तर प्रदेश में फर्रुखाबाद, महाराष्ट्र में बीड, गुजरात में गांधीनगर, पंजाब में फतेहगढ़ साहिब और तमिलनाडु में विरुधुनगर। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र ने पहले ही किसानों के पहचान-पत्र बनाने का काम शुरू कर दिया है।

विशिष्ट किसान आईडी से नई मूल्यवर्धित सेवाएं शुरू करने में मदद मिलेगी और किसान इस आईडी के माध्यम से पीएम-किसान और फसल बीमा योजना सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। इससे उन्हें कृषि ऋण और बीमा जैसी वित्तीय सेवाएं प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। यह देशव्यापी किसान रजिस्ट्री, फसल बोई गई रजिस्ट्री और गांव के मानचित्रों की जियोरेफरेंसिंग के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा।

डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने से भारत को कृषि उत्पादकता बढ़ाने, बर्बादी को कम करने, कृषि निर्यात बढ़ाने, किसानों की आय बढ़ाने तथा खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिल सकती है। 
भारत मे कृषि योग्य भूमि का एक बड़ा भाग छोटी जोतों में विभाजित है, जो किसानों की आय की क्षमता को सीमित करता है। किसान की औसत मासिक आय अपेक्षाकृत कम बनी हुई है, जो कृषि क्षेत्र में उन लोगों के समक्ष विद्यमान आर्थिक चुनौतियों को उजागर करती है।

घोषित कार्यक्रमों को अपनाने से भारत अपने कृषि क्षेत्र की पूरी क्षमता को साकार कर सकने में सक्षम होगा, जिससे यह राष्ट्रीय विकास की आधारशिला बन जाएगा। यह परिवर्तन लाखों किसानों के लिए स्थायी आजीविका को सुरक्षित करेगा, खाद्य सुरक्षा को बढ़ाएगा, समावेशी विकास को बढ़ावा देगा और भारत को कृषि नवाचार एवं संवहनीयता में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देश के रूप में स्थापित करेगा।

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