Kanpur Dehat: 80 वर्ष की उम्र में भी हिम्मत नहीं हारीं सूरजदेई; अकेले लड़कर बेटे को दिलाया इंसाफ, जान से मारने की मिली थी धमकी

Kanpur Dehat: 80 वर्ष की उम्र में भी हिम्मत नहीं हारीं सूरजदेई; अकेले लड़कर बेटे को दिलाया इंसाफ, जान से मारने की मिली थी धमकी

कानपुर देहात, अमृत विचार। न आर्थिक रूप से सम्पन्न, न शारीरिक रूप से मजबूत और न ही कोई राजनीतिक ताकत थी, लेकिन मन में बेटे को इंसाफ दिलाने का जज्बा था। यही वजह रही कि 80 वर्ष की उम्र में भी मां सूरजदेई ने हिम्मत नहीं हारी और डीजीपी दफ्तर तक पहुंची। इसके बाद पुलिस का सहारा मिला तो वह न्याय के मंदिर (कोर्ट) में आंसुओं के साथ बेटे के लिए इंसाफ मांगती रही। मंगलवार को जब बेटे को गायब करने वाले सुरेश और उसकी कथित पत्नी सीमा को सजा हुई तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। 

सूरजदेई के पति बैजनाथ की मौत बहुत पहले हो गई थी। बेटे के गायब होने के बाद वह टूट सी गई थी, लेकिन दोनों बेटियों ने उन्हें सहारा दिया। बेटी सरोजनी ससुराल से आकर भाई को न्याय दिलाने के लिए मां का हौसला बढ़ाती रही। भाई रघुवीर ने भी मदद की। वर्ष 2003 में बेटे के गायब होने के बाद जब वह ढाबे पर गई तो सुरेश और सीमा ने उन्हें बेटे की तरह मारकर फेंकने की धमकी दी। 

इसके बाद वह डेरापुर थाने से लेकर अकबरपुर और एसपी कार्यालय तक चक्कर काटती रही, लेकिन सुरेश के प्रभाव के आगे उसकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। बेटे को याद कर वह हर दिन आंसू बहाती रहीं। सूरजदेई बताती हैं कि उन्हें लग रहा था कि वह कुछ नहीं कर पाएंगी। 

इससे वह घुटती रहीं। वर्ष 2017 में प्रदेश की सरकार बदली तो बिहारी गांव के पूर्व फौजी स्व. बलवान सिंह की जमीन व ढाबा हड़प कर खुद को फौजी कहलाने वाले सुरेश यादव के खिलाफ बलवान सिंह का बेटा अजय सिंह खड़ा हुआ। उसने अपनी जमीन खाली कराने की लड़ाई के साथ सूरजदेई को भी सहारा दिया। अजय ही उन्हें लेकर एडीजी के पास तक गया। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। 
इनसेट

सूरजदेई को अगवा करने की दी गई थी धमकी

सूरजदेई की गवाही की पहली तारीख 25 जुलाई 2022 को लगी थी, लेकिन उसके पहले ही सूरजदेई को सुरेश यादव की ओर से कोर्ट के बाहर से अगवा कर ले जाने के साथ हत्या कर देने की धमकी दी गई थी। सूरजदेई बताती हैं कि वह अपराधी है, इसलिए उन्हें डर लगा कि वह अपने बेटे को न्याय नहीं दिलवा पाएंगी, लेकिन बलवान सिंह का बेटा अजय सिंह फौजी उन्हें लेकर लखनऊ डीजीपी कार्यालय पहुंचा। 

इसके बाद जब कोर्ट में गवाही होती तो पुलिस की स्कोर्ट सूरजदेई को लेकर कोर्ट आती और फिर उन्हें घर छोड़ जाती थी। जब उन्हें पुलिस की सुरक्षा मिली तो उन्होंने बेटे के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ी। दूसरे गवाह के रूप में उनकी बेटी सरोजनी ने कोर्ट में सुरेश और सीमा के खिलाफ गवाही दी थी।

दूसरे बेटे की जान बचाने को कभी नहीं लाई सामने 

सूरजदेई के अंदर सुरेश का इस कदर डर था कि वह अपने बड़े बेटे अशोक को सामने तक नहीं लाई। वह कानपुर में रहता है, जबकि दूसरी बेटी विमला से भी कोई मतलब नहीं है। अधिकांश लोगों को सूरजदेई बड़े बेटे अशोक के बारे में कोई जानकारी नहीं देती हैं।

सीमा ने भतीजे पर दर्ज कराई थी छेड़खानी की रिपोर्ट 

मुकदमा दर्ज होने के बाद सूरजदेई के साथ उनकी बहन का लड़का दीपू रहने लगा था। कहीं आने-जाने में दीपू ही उनके साथ रहता था। पैरवी कमजोर करने के लिए सुरेश की पत्नी सीमा ने दीपू पर छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी, जिसमें उसे जमानत करानी पड़ी थी, लेकिन बेटे के खातिर लड़ रही मां को वह ताकत मिल चुकी थी, जिससे वह डिगी नहीं और उसी के परिणाम स्वरूप आज सुरेश और सीमा को सजा हुई।

15 साल बाद लिखा मुकदमा और छह वर्ष में फैसला 

मनोज के गायब होने में सूरजदेई को मुकदमा दर्ज करवाने में 15 वर्ष लग गए थे। वर्ष 2003 में घटना होने के बाद उसने भागदौड़ की, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। 2017 में सूरजदेई मुकदमा दर्ज करवाने डीजीपी कार्यालय तक पहुंची। इसके बाद एडीजी जोन के निर्देश पर 2 सितंबर 2018 को मुकदमा दर्ज हुआ था।

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