कानपुर: खगोलविदों ने खोजा नया ग्रह, नाम दिया ‘सुपर जुपिटर’
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉ. प्रशांत पाठक खगोलविदों की अंतरराष्ट्रीय टीम में रहे शामिल, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के मिड-इंफ्रारेड उपकरण का इस्तेमाल कर ली गईं ग्रह की तस्वीरें
पृथ्वी से 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित नया ग्रह द्रव्यमान में बृहस्पति से छह गुना बड़ा और काफी ठंडा
कानपुर, अमृत विचार। आईआईटी कानपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रशांत पाठक सहित खगोलविदों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के जरिए डायरेक्ट इमेजिंग तकनीक के माध्यम से एक नए विशालकाय ग्रह की खोज की है। इसे ‘सुपर-जुपिटर’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इप्सिलोन इंडी एबी नामक यह ग्रह पृथ्वी के निकट पहला प्रत्यक्ष रूप से चित्रित परिपक्व बाह्य ग्रह है। यह बृहस्पति से द्रव्यमान के मामले में कम से कम छह गुना बड़ा है। इस तरह सौर मंडल के किसी भी ग्रह से काफी बड़ा है। यह नया ग्रह पृथ्वी से 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और काफी ठंडा है।
कानपुर आईआईटी में डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस, प्लैनिटेरी एंड ऐस्ट्रनामिकल साइंसेज एंड इंजीनियरिंग (स्पेस) के सहायक प्रोफेसर डॉ.प्रशांत पाठक के अनुसार सूर्य के समान एक नजदीकी तारे की परिक्रमा करने वाला यह विशाल ग्रह प्रत्यक्ष इमेजिंग तकनीक का उपयोग कर खोजा जाने वाला पहला परिपक्व एक्सोप्लैनेट (सौर मंडल से परे एक ग्रह) है।
इस खोज और अनुसंधान का पूरा ब्यौरा विश्व की अग्रणी विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित किया गया है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के मिड-इंफ्रारेड उपकरण का उपयोग करते हुए खगोलविदों की टीम ने के5वी प्रकार के तारे इप्सिलोन इंडी ए की परिक्रमा कर रहे नए बाह्य ग्रह का प्रत्यक्ष चित्र लिया है। यह सफलता अंतरिक्ष का अन्वेषण कर रहस्यों को उजागर करने की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
खगोलविदों के अनुसार नया ग्रह पृथ्वी से 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह ग्रह काफी ठंडा है। इसका तापमान माइनस 1 डिग्री सेंटीग्रेड है। इसकी कक्षा काफी बड़ी है। यह अपने तारे की परिक्रमा हमारी पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से 28 गुना अधिक दूरी पर करता है।
खोज के संबंध में जर्मनी के हीडलबर्ग स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी की शोधकर्ता एलिजाबेथ मैथ्यूज के मुताबिक पिछले अध्ययनों ने ग्रह की सही पहचान की थी, लेकिन इसके द्रव्यमान और कक्षीय पृथक्करण को कम करके आंका गया था। जब हमें अहसास हुआ कि हमने नए ग्रह की तस्वीर ले ली है, तो हम बेहद उत्साहित हो गए। जेडब्ल्यूएसटी की मदद से टीम सही रिकार्ड स्थापित करने में सफल रही।
आईआईटी के सहायक प्रोफेसर डॉ. पाठक ने बताया कि यह खोज काफी रोमांचक रही, इससे ऐसे ग्रहों के बारे में और अधिक जानने का मौका मिला, जो हमारे अपने ग्रहों से बहुत अलग हैं। इस ग्रह के वायुमंडल में एक असामान्य संरचना प्रतीत होती है, जो हमारे अपने सौर मंडल के ग्रहों की तुलना में उच्च धातु सामग्री और एक अलग कार्बन-से-ऑक्सीजन अनुपात को इंगित करती है। अब अगला लक्ष्य स्पेक्ट्रा प्राप्त करना है, जो ग्रह की जलवायु और रसायनिक संरचना का फिंगर प्रिंट प्रदान करता है।
शोध टीम में यूएसए, यूके और चीन भी रहे शामिल
शोधकर्ताओं की टीम में कानपुर आईआईटी के डॉ.प्रशांत पाठक के साथ जर्मनी से एलिजाबेथ मैथ्यूज व लेइंडर्ट बूगार्ड, यूएसए से आर्यन कार्टर, साई कृष्ण पुलकेसी मन्नान व जेनिफर बर्ट, यूके से कैरोलीन मोर्ले, चीन से फैबो फेंग, स्विटजरलैंड से मार्कस बोन्स समेत कई देशों के विशेषज्ञ शामिल रहे।
यह खोज एक्सोप्लैनेट शोध में मील का पत्थर है। इससे आने वाले समय में हमें नए ग्रहों की खोज करने में काफी मदद मिलेगी। यह अनुसंधान अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर अंतरिक्ष के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाने में आईआईटी कानपुर के वैश्विक योगदान को उजागर करता है...,प्रो. मणींद्र अग्रवाल, निदेशक, आईआईटी कानपुर।