नैनीताल: लैंड फ्रॉड समन्वय कमेटी पर अगले मंगलवार तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश

विधि संवाददाता, नैनीताल, अमृत विचार। हाईकोर्ट ने राज्य में भूमि की धोखाधड़ी व अवैध खरीद-फरोख्त पर अंकुश लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से वर्ष 2014 में गठित लैंड फ्रॉड समवन्य कमेटी की कार्यशैली और प्राप्त शिकायतों पर अगले मंगलवार तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी सचिन शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में प्रदेश में लैंडफ्रॉड व जमीन से जुड़े मामलों में होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए लैंड फ्रॉड समन्वय समिति का गठन किया था। इसमें कुमाऊं व गढ़वाल मंडल के आयुक्त सहित डीआईजी, आईजी, अपर आयुक्त, संबंधित वन संरक्षक एवं जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के मुखिया, संबंधित नगर आयुक्त व एसआईटी के अधिकारी शामिल थे।
इनका काम राज्य में हो रहे लैंड फ्रॉड व धोखाधड़ी के मामलो की जांच, जरूरत पर एसआईटी से जांच कर मुकदमा दर्ज करना था। इधर, अब लैंड फ्रॉड व धोखाधड़ी के जितनी भी शिकायतें पुलिस को मिल रही है पुलिस खुद ही इन मामलों में अपराध दर्ज कर रही है जबकि शासनादेश के अनुसार ऐसे मामलों को लैंड फ्रॉड समन्वय समिति के पास जांच के लिए भेजा जाना था।
याचिका में यह भी कहा गया कि पुलिस को न तो जमीन से जुड़े मामलों के नियम पता है न ही ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज करने की शक्ति है। शासनादेश में स्पष्ट उल्लेख है कि जब ऐसा मामला पुलिस के पास आता है तो लैंड फ्रॉड समन्वय समिति को भेजा जाए। समिति ही जांच के बाद पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश देगी। वर्तमान में कमेटी का काम थाने से हो रहा है इस पर रोक लगाई जाए।