खाद्य महंगाई के कारण खुदरा मुद्रास्फीति में कमी की रफ्तार सुस्तः आरबीआई गवर्नर
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दर पर फैसले के समय कहा था कि समग्र खुदरा मुद्रास्फीति में धीमी रफ्तार से गिरावट के लिए खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें जिम्मेदार हैं। शुक्रवार को जारी इस बैठक के विवरण से यह तथ्य सामने आया।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की जून की शुरुआत में हुई बैठक में लगातार आठवीं बार मानक ब्याज दर रेपो को 6.25 प्रतिशत पर बनाए रखने के पक्ष में बहुमत से फैसला किया गया था। समिति के चार सदस्य यथास्थिति के पक्ष में थे जबकि दो सदस्य कटौती करना चाहते थे। एमपीसी बैठक के विवरण के मुताबिक, बैठक में दास ने कहा था कि मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन इसकी गति धीमी है और मुद्रास्फीति में गिरावट का अंतिम चरण धीरे-धीरे और लंबा खिंचता जा रहा है।
गवर्नर ने बैठक में कहा, "मुद्रास्फीति की धीमी रफ्तार के पीछे मुख्य कारक खाद्य मुद्रास्फीति है। आपूर्ति पक्ष से बार-बार आने वाले और एक-दूसरे पर हावी होने वाले झटके खाद्य मुद्रास्फीति में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।" उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आखिरकार सामान्य मानसून ही प्रमुख खाद्य वस्तुओं में मूल्य दबाव को कम कर सकता है।
बड़े अनुकूल आधार प्रभावों के कारण अप्रैल-जून तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति अस्थायी और एक बार के लिए आरबीआई की लक्षित दर से नीचे जा सकती है। हालांकि चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में इसमें दोबारा तेजी भी देखने को मिल सकती है। एमपीसी के सदस्य शशांक भिडे, आरबीआई के कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन, डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा और खुद दास ने रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के लिए मतदान किया। वहीं समिति के बाहरी सदस्यों- आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की वकालत की थी।
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