बरेली: बेबीफोल्ड में पल रही बेटी, घरवाले कानूनी दांवपेच में जुटे

बरेली, अमृत विचार। डेढ़ साल पहले गुरुनानक अस्पताल में जन्मे बच्ची को कोर्ट ने डीएनए टेस्ट के आधार पर घर उसके मां-बाप के साथ जाने का आदेश किया था। यह बच्ची पहले अस्पताल में रही और फिर बेबीफोल्ड संस्था में पालन पोषण किया गया, जबकि बच्ची के मां-बाप कानूनी दांवपेच के चक्कर में उसे लेने …
बरेली, अमृत विचार। डेढ़ साल पहले गुरुनानक अस्पताल में जन्मे बच्ची को कोर्ट ने डीएनए टेस्ट के आधार पर घर उसके मां-बाप के साथ जाने का आदेश किया था। यह बच्ची पहले अस्पताल में रही और फिर बेबीफोल्ड संस्था में पालन पोषण किया गया, जबकि बच्ची के मां-बाप कानूनी दांवपेच के चक्कर में उसे लेने से इनकार करते रहे। यह बयान बुधवार को आईएमए हाल में हुई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान गुरुनानक अस्पताल के संचालक डॉ. नमित ने दिए।
डॉ. नमित ने कहा कि 6 मई 2019 को बच्ची का जन्म हुआ था, जो साढ़े छह महीने में पैदा हो गई थी। उन्होंने बेटा बताते हुए भर्ती कराया। बच्ची का वजन 850 ग्राम था, जबकि सामान्य बच्चे का वजन ढाई से तीन किलोग्राम होता है। 28 मई को डिस्चार्ज होने वाले दिन घरवालों ने बच्ची को लेने से मना कर दिया। उन्होंने बताया कि घरवालों का कहना था कि बच्चा बदल दिया। यह कहकर छोड़कर चले गए।
छुट्टी होने की तिथि के बाद 57 दिन तक बच्चे का इलाज अस्पताल की ओर से कराया गया। इसके बाद 24 जुलाई को शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया था। उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले आई डीएनए की जांच रिपोर्ट में परिजनों के आरोप निराधार साबित हुए और बच्चा परिजनों का ही निकला। कोर्ट ने अस्पताल को क्लीन चिट दे दी।
आईएमए सचिव डॉ. अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन था। इस दौरान परिजन एक बार भी बच्चे का हालचाल तक लेने नहीं आए। इस मौके पर आईएमए अध्यक्ष डॉ. मनोज अग्रवाल, उपाध्यक्ष डॉ. धर्मेद्र नाथ और डॉ. राजीव गोयल, डॉ. मनीत सलूजा आदि मौजूद रहे।