एआर रहमान ने कान्स में भारतीय शो पर कहा- 'युवा ज्यादा समझदार, जानते हैं कौन सी कहानी सुनानी है'
नई दिल्ली। संगीतकार एआर रहमान का कहना है कि प्रतिभा को कभी भी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रखना चाहिए और कान्स विजेता पायल कपाड़िया जैसे युवा भारतीय कलाकार अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत की कहानियां पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) की पूर्व छात्रा कपाड़िया कान फिल्म महोत्सव में 'ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट' के लिए ग्रां प्री पुरस्कार जीतने वाले पहली भारतीय फिल्म निर्माता हैं।
भारत-फ्रांस द्वारा निर्मित मलयालम-हिंदी फिल्म 'ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट' 30 वर्ष बाद किसी भारतीय निर्देशक की पहली फिल्म थी, जो कान फिल्म महोत्सव के मुख्य प्रतियोगिता खंड में जगह बनाने में सफल रही। देश और दुनिया में अपने संगीत के लिए प्रख्यात रहमान दो बार ऑस्कर, ग्रैमी के साथ-साथ गोल्डन ग्लोब पुरस्कार भी अपने नाम कर चुके हैं। रहमान ने कहा कि भारत की खूबसूरत कहानियां अंतरराष्ट्रीय सम्मान की हकदार हैं। उन्होंने कहा, ''युवाओं की भावना अब बदल चुकी है। वे ज्यादा समझदार हैं। वे जानते हैं कि कहां जाना है, किस तरह की कहानियां सुनानी हैं। हमें सिर्फ गरीबी ही नहीं बल्कि भारत की खूबसूरती की कहानियां भी सुनानी हैं, जो अच्छी बात है।
संगीतकार ने कहा, ''फिल्म की कला सिर्फ घरेलू दर्शकों के लिए नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए भी होनी चाहिए। कुछ चीजें सीखना बहुत जरूरी हैं, सिर्फ इस बात को लेकर खुश मत होइये कि यहां हमारे पास बड़ी संख्या में दर्शक हैं या फिर यहां बॉक्स ऑफिस अच्छा है। कुछ लोग इससे संतुष्ट नहीं होते। इसलिए वे अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का रुख करते हैं, पायल कपाड़िया उनमें से एक हैं।
एफटीआईआई के छात्र चिदानंद एस नाइक की 'सनफ्लॉवर वर द फर्स्ट वन्स टू नो' और अनसुया सेनगुप्ता की 'द शेमलेस' ने भी कान फिल्म महोत्सव में बड़े पुरस्कार जीते हैं। सेनगुप्ता 'अन सर्टेन रिगार्ड' में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय बनीं जबकि नाइक की 'सनफ्लॉवर वर द फर्स्ट वन्स टू नो' ने फिल्म महोत्सव में 'ला सिनेफ' (फिल्म स्कूल फिक्शन या एनिमेटेड फिल्म) प्रथम पुरस्कार हासिल किया।
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