पीलीभीत: अब टीबी मरीजों के साथ परिवार वालों को भी किया जाएगा सुरक्षित, तीन माह में दी जाएंगी 12 डोज

पीलीभीत, अमृत विचार। पोलियो की तर्ज पर सरकार टीबी की बीमारी को खत्म करने के लिए लगातार प्रयासरत है। ताकि टीबी की बीमारी को जड़ से मिटाया जा सके। इसको लेकर अब शासन की ओर से टीबी मरीजों के साथ उनके परिवार वालों को भी इस बीमारी से बचाने के लिए स्क्रीनिंग करने के साथ टीबी की दवाई दी जाएगी। जिससे क्षय रोग अस्पताल मरीज के साथ मुहैया कराएगा।
यह प्रत्येक टीबी मरीज के परिवार के प्रति सदस्य को 12 गोली खाना होंगी। जिसके लिए शासन की ओर से दवा मुहैया कराई जा रही है। इसके लिए टेबलेट दी जा रही है। विभाग की ओर से सुपरवाइजरों का इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
जिले में इस समय टीबी के 1200 सक्रिय मरीज हैं। उनका इलाज जिला क्षय नियंत्रण केंद्र में चल रहा है। इसके तहत टीम मरीजों को दवा उपलब्ध करा रही है। साथ ही कई मरीजों का निजी अस्पताल से भी उपचार चल रहा है। शासन की मंशा है कि वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना है। जिला अस्पताल में रोजाना टीबी मरीजों को खोजने का काम किया जा रहा है। पोलियो की तरह टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए योजनाएं चल रही हैं।
मरीजों के साथ तीमारदारों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं। आमतौर पर टीबी का तीन माह का इलाज होता है। इसमें नार्मल टीबी, एमडीआर और एक्सडीआर तीन स्टेज होती हैं। टीबी मरीजों की देखरेख और दवा आदि देने के लिए परिवार का व्यक्ति ही उसके समीप रहता है। जिससे यह खतरा परिवार के सदस्यों को भी बन जाता है। ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग ने मरीज के साथ परिवार को सुरक्षित करने का फैसला लिया है।
टीबी मरीज को तीन माह के कोर्स के साथ परिवार के लोगों को भी दवा दी जाएगी। इसके लिए शासन ने रिफैम्पिन आइसोनियाजिड 300 एमजी की टेबलेट को लेकर आई है। यह टैबलेट टीबी के लिए एक या अधिक दवाओं के साथ ली जा सकती है। यह टीबी की बीमारी को रोकने का काम करती है। नए निर्देश के अनुसार अब मरीजों के साथ उनके परिजनों को भी दवा खानी होगी, ताकि मरीज के साथ परिवार के लोगों में इसके लक्षण न पनप सकें।
तीन माह तक उनके परिजनों का भी इलाज किया जाएगा। एक सप्ताह में एक टेबलेट परिवार को दी जाएगी। यानी की तीन माह में कुल 12 टेबलेट खानी होंगी। दवा देने से पहले टीबी मरीजों के परिवार वालों की भी स्क्रीनिंग करते हुए सैंपल लिए जाएंगे। अगर टीबी की पुष्टि होती है, तो उनका भी टीबी का इलाज किया जाएगा। अन्यथा यह टैबलेट उन्हें टीबी के संक्रमण से बचाने के लिए खानी होगी।
हालांकि पांच साल तक के बच्चों के लिए पहले ही शासन की ओर से टेबलेट दी जा रही है। जिसका लोग इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। रिफैम्पिन और आइसोनियाजिड टेबलेट को लेकर बुधवार को जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. पारुल मित्तल ने सुपरवाइजर, हेल्थ कम्युनिटी अधिकारी को प्रशिक्षण भी दिया। उन्होंने कहा कि सक्रिय रोगियों को दवा वितरण के साथ उनके परिवार के लोगों की भी निगरानी की जाए। कहीं यह संक्रमण उनके परिवार के लोगों में न फैल जाए।
टीबी मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति में टीबी की बीमारी होने की आशंका बनी रहती है। इसलिए शासन ने अब तीन माह तक उन्हें भी दवा खिलाने का निर्णय लिया है। दवा की सप्लाई मिल चुकी है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद दवा का वितरण किया जाएगा।- डॉ. पारुल मित्तल, जिला क्षय रोग अधिकारी