Delhi: बेबी केयर सेंटर में लगी भीषण आग, 7 मासूमों की मौत...5 अस्पताल में भर्ती
नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार में बच्चों के एक अस्पताल में आग लगने से सात नवजात शिशुओं की मौत हो गयी। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के अधिकारियों ने बताया कि ‘बेबी केयर न्यू बॉर्न’ अस्पताल में शनिवार रात करीब 11:30 बजे आग लग गई और जल्द ही यह दो अन्य इमारतों में भी फैल गई।
संभागीय अग्निशमन अधिकारी राजेंद्र अटवाल ने कहा कि आग पर काबू पाने के लिए दमकल की 16 गाड़ियों को लगाया गया। उन्होंने बताया कि दो मंजिला इमारत में रखे ऑक्सीजन सिलेंडर में विस्फोट हुआ, जिससे आसपास की इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। एक अन्य अग्निशमन अधिकारी ने कहा कि घटना में दो बुटीक, बगल की इमारत में संचालित इंडसइंड बैंक का एक हिस्सा और भूतल पर स्थित एक दुकान भी क्षतिग्रस्त हो गई।
इसके अलावा इमारत के बाहर खड़ी एक एम्बुलेंस और एक स्कूटी भी क्षतिग्रस्त हुई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल में आग लगने से बच्चों की मौत होने की घटना हृदय विदारक है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार रहे लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी कहा कि लापरवाही बरतने वाले या गलत काम में लिप्त लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी। केजरीवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि सरकार विवेक विहार में आग लगने की घटना में अपने बच्चों को खोने वालों के साथ है और प्रशासन घायलों का उपयुक्त इलाज सुनिश्चित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है और लापरवाही बरतने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। डीएफएस प्रमुख अतुल गर्ग ने बताया कि 12 नवजात शिशुओं को अस्पताल से निकाला गया लेकिन उनमें से सात की मौत हो गई। गर्ग ने बताया कि पांच शिशुओं का एक अन्य अस्पताल में इलाज किया जा रहा है और उनमें से कुछ मामूली रूप से झुलसे हैं।
पुलिस ने कहा कि शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेज दिया गया है। पुलिस उपायुक्त (शाहदरा) सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि अस्पताल के मालिक नवीन किची के खिलाफ विवेक विहार पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 336 (दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कार्य) और 304ए (लापरवाही से मौत का कारण) के तहत मामला दर्ज किया गया है। अधिकारी ने बताया कि अस्पताल के मालिक को पकड़ने के लिए टीम गठित की गई हैं।
चौधरी ने बताया कि वे अस्पताल के अग्नि संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र की जांच कर रहे हैं और अगर अस्पताल इसके बिना संचालित होते पाया गया तो आईपीसी की अन्य धाराएं जोड़ी जा सकती हैं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि कुछ स्थानीय निवासियों ने इसके पीछे से इमारत में प्रवेश किया और उन्होंने कुछ नवजात शिशुओं को वहां से निकाला। गैर सरकारी संगठन शहीद सेवा दल के सदस्य मदद के लिए सबसे पहले पहुंचे।
एक अन्य निवासी संजू वर्मा ने कहा कि अग्निशमन विभाग के अधिकारी, स्थानीय पुलिस और सेवा दल के सदस्य बचाव अभियान में शामिल हुए। सेवा दल के एक सदस्य ने दावा किया कि अस्पताल की इमारत में आग लगने के तुरंत बाद अस्पताल के कर्मचारी भाग गए। एक अन्य निवासी मुकेश बंसल ने दावा किया कि इमारत में ऑक्सीजन सिलेंडर में दोबारा ऑक्सीजन भरने का काम अवैध तरीके से किया जा रहा था।
बंसल ने आरोप लगाया, ‘‘हमने स्थानीय पार्षद से भी इसकी शिकायत की थी। लेकिन कुछ नहीं किया गया, यह सब पुलिस की नाक के नीचे हो रहा था।’’ उन्होंने कहा कि वह पहले अस्पताल के बगल में रहते थे लेकिन वहां सिलेंडर भरने का काम किये जाने के कारण वह वहां से अगली गली में रहने चले गए। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने घटना की जांच के लिए एक टीम तैनात की है।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि आयोग ने आग की घटना और नवजात शिशुओं की मौत के मामले का संज्ञान लिया है। कानूनगो ने कहा कि घटना की जांच के लिए एनसीपीसीआर की एक टीम अस्पताल का दौरा करेगी।
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