Kanpur: रिहाई के बाद भी दो साल तक सलाखों के पीछे रही बुजुर्ग महिला...ऐसे खुला मामला, अब बाबू की हो रही जमकर किरकिरी
कानपुर में एक बाबू की लापरवाही के चलते दो साल तक जेल में महिला रही
कानपुर, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश सरकार ने दहेज हत्या के मामले में उनकी आजीवन कारावास की सजा में छूट के बाद रिहा करने का आदेश दिया था। लेकिन कानपुर में बड़ी लापरवाही सामने आई। यहां शासन का आदेश आने के बाद भी बाबू की गलती के चलते महिला को दो साल जेल में और रहना पड़ा।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 2022 में रिहाई के दिए थे आदेश
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नौबस्ता निवासी 78 वर्षीय सुमित्रा की माफी याचिका को स्वीकार करते हुए 2022 में रिहाई आदेश जारी किया था। इसमें दो-दो लाख रुपये की दो जमानतें लगाने का आदेश दिया गया। जिसमें सुमित्रा ने गरीबी का हवाला देते हुए जमानत राशि जमा करने में असमर्थता जताई। वहीं, तहसीलदार ने पूरे मामले की जांच पड़ताल की। जिसमें पाया कि महिला आर्थिक रूप से बहुत कमजोर है, वह जमानत राशि नहीं दे सकती है। गरीबी को देखते हुए शासन ने जुलाई, 2023 में बगैर जमानत राशि के रिहाई करने के आदेश दिए।
डीएम के पास फाइल आने पर खुला मामला
जिला प्रोबेशन दफ्तर में तैनात जिला परिवीक्षा काउंटर सहायक आशीष कुमार ने मंजूरी के लिए फाइल डीएम को भेजने के बजाय 10 महीने तक अपने पास रखे रहा। बीते 20 मई को डीएम के पास महिला की रिहाई की फाइल आई। तब उन्हें पूरे मामले की जानकारी हुई। इस पर डीएम राकेश कुमार सिंह डीएम ने क्लर्क को जमकर फटकार लगाई है।
डीएम ने क्लर्क पर लगाया जुर्माना
डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि क्लर्क के निलंबन की सिफारिश की गई है। उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। महिला को रिहा करने के लिए कहा गया है।
ये है पूरा मामला
बता दें कि, दहेज हत्या के एक मामले में सुमित्रा और उसके परिवार के सदस्यों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सुमित्रा के पति की जेल में ही मौत हो गई, जबकि बेटा संतोष अभी सलाखों के पीछे ही है।