हल्द्वानी: अब माइक्रोचिप से होगी श्वान व बिल्ली की पहचान 

हल्द्वानी: अब माइक्रोचिप से होगी श्वान व बिल्ली की पहचान 

हल्द्वानी, अमृत विचार। पालतू श्वान और बिल्ली की चोरी होने पर अब उसकी पहचान आसानी से हो सकेगी। इसके लिए श्वान व बिल्ली में माइक्रोचिप लगानी होगी।

शहर में पशु प्रेमियों की संख्या अच्छी खासी है, जिनके पास दो हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये कीमत तक के श्वान व बिल्लियां हैं। ऐसे में इनके चोरी या गुम होने पर पशु प्रेमियों को आर्थिक नुकसान होता है। इसलिए इन दिनों पशु प्रेमियों में अपने पालतू जानवरों के शरीर में माइक्रोचिप लगाने का प्रचलन बढ़ा है। माइक्रोचिप में पालतू जानवर का नाम, नस्ल, शरीर का आकार-प्रकार, माता-पिता व मालिक का नाम, टीकाकरण आदि जानकारियां अंकित होंगी। जिससे उसके खोने व चोरी हो जाने की स्थिति में उसकी आसानी से पहचान की जा सकेगी।

 पशु चिकित्सक डॉ. अनुज अग्रवाल ने बताया कि जिन लोगों के श्वान व बिल्लियां कीमती होते हैं, वे लोग सुरक्षा की दृष्टि से अपने पेट्स में माइक्रोचिप लगवा रहे हैं। अब तक शहर में सैकड़ों लोग पालतू जानवरों में माइक्रोचिप लगा चुके हैं। यह चिप जानवर की पीठ पर खाल के नीचे लगाई जाती है। इंडियन नेशनल केनेल क्लब (आईएनकेसी) संस्था पालतू जानवरों के पंजीकृत करने से पहले पालतू जानवर के लिए माइक्रोचिप उपलब्ध कराती है।

इसके अलावा बाजार में भी माइक्रोचिप उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि पालतू जानवरों के कार्यक्रमों और विदेश ले जाने के लिए उनका माइक्रोचिप नंबर मांगा जाता है, इसलिए भी लोग इसे लगवाते हैं। माइक्रोचिप ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की तरह काम नहीं करती है। जीपीएस के लिए जानवरों के गले में पट्टे लगाया जाता है।