पीलीभीत: इलाज कम दर्द ज्यादा दे रहा मेडिकल कॉलेज, पानी की किल्लत...गर्मी में वार्ड के पंखे भी बंद

पीलीभीत: इलाज कम दर्द ज्यादा दे रहा मेडिकल कॉलेज, पानी की किल्लत...गर्मी में वार्ड के पंखे भी बंद

पीलीभीत, अमृत विचार: मेडिकल कॉलेज में जिम्मेदारों की हीलाहवाली के चलते मरीज और तीमारदारों को परेशानी उठानी पड़ रही है। आलम यह है कि छह दिन से खराब पड़ी पानी की मोटर तब बदली गई  जब मामला शासन तक पहुंच गया। अपर मुख्य सचिव की फटकार के बाद देर रात अस्पताल में मोटर मरम्मत का काम चलता रहा। 

मगर ठीक होने के बाद भी रविवार को एमसीएच विंग की दूसरी और तीसरी मंजिल पर पीने का पानी नहीं पहुंचा। वहीं भीषण गर्मी में पुरुष अस्पताल के वार्डो में भर्ती मरीजों के लिए पंखे भी बंद रहे। हालांकि इस बार भी तर्क रहा कि जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिला है। धीरे-धीरे व्यवस्थाएं पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल अभी भी मरीजों को दिक्कतें झेलना पड़ रही हैं।

शासन की ओर से इस भीषण गर्मी में सरकारी अस्पतालों में समुचित इलाज के साथ पीने का पानी और अन्य सुविधाओं को व्यवस्थित करने के आदेश दिए गए हैं। जिले के मेडिकल कॉलेज में व्यवस्था इसके बाद भी बेपटरी है। मेडिकल कॉलेज परिसर में एमसीएच विंग में महिला अस्पताल को संचालित किया जा रहा है। जहां ओपीडी के अलावा गर्भवती के सिजेरियन प्रसव कर उन्हें भती भी किया जाता है। 

छह दिन पहले तकनीकी कमी के चलते पानी की मोटर फुंक गई थी। जिस वजह से मरीजों को पीने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा था। इतना ही नहीं गर्भवती को शौच के लिए भी बाहर जाना पड़ रहा था।  इस पर तीमारदार से बाहर से पानी की बोतल खरीदकर अपनी प्यास बुझानी पड़ी थी। शनिवार देर रात मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शासन तक पहुंच गया। 

जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ने फटकार लगाई तो रात में नई मोटर लगवाकर पानी शुरु कराने के  निर्देश दिए गए। देर रात तक एडीएम ऋतु पुनिया, एसडीएम देवेंद्र सिंह, सीएमओ डॉ. आलोक कुमार और प्राचार्य डॉ. संगीता अनेजा मौके पर रहीं। मोटर की मरम्मत का काम कराया गया। काम पूरा होने के बाद प्रथम तल पर शौचालय और पीने वाले पानी की टंकी में पानी शुरु हो गया। मगर द्वितीय और तृतीय तल पर पानी चालू नहीं हो सका। 

अफसरों ने भी आनन फानन में मोटर लगवाने के बाद भूतल पर पानी की सप्लाई को चालू दिखाकर शासन को फोटो भेज दिए। साथ ही सोशल मीडिया पर भी वायरल कर दिए। रविवार को अमृत विचार की टीम ने एमसीएच विंग और पुरुष अस्पताल की हकीकत को परखा तो हालात दयनीय मिले। जिस एमसीएच विंग में अफसर मोटर लगवाने के बाद पानी की सप्लाई चालू कराने की बात कह रहे थे। 

वहां द्वितीय तल पर लगी पानी की मशीन में पानी आता हुआ नहीं मिला। पूरनपुर के गुलड़िया भूप सिंह के सरताज ने बताया कि उनकी पत्नी एक सप्ताह से यहां भर्ती है। छह दिन से पानी नहीं आ रहा था। शनिवार रात को अफसर आए थे। तो ठंडे पानी की मशीन में पानी आ रहा था। मगर रविवार को फिर से पानी बंद हो गया। यहां अव्यवस्थाएं पूरी तरह से हावी है। कोई सुनने को तैयार नहीं है। 

इधर, द्वितीय और तृतीय तल पर बने वार्डो में कई जगह पंखे भी बंद मिले। मरीजों से जानकारी करने पर पता चला कि पंखे कभी अपने चलने लगते है, तो कभी बंद हो जाते हैं। जिस वजह से तीमारदारों को भूतल पर लगी पानी की टंकी से पानी भरने के लिए बार बार आना पड़ रहा है। इसके अलावा पुरुष अस्पताल में जब टीम पहुंची तो वहां प्रथम और द्वितीय तल पर पंखे आदि चलते मिले। 

मगर तृतीय तल पर बने वार्ड नंबर 12 में स्थित 54 नंबर संख्या पर भर्ती हरिद्वारीलाल के बेड पर पंखा चलता नहीं मिला। मरीज के अनुसार चार दिन से अस्पताल में भर्ती है। रविवार को उन्हें वार्ड नंबर 12 में शिफ्ट किया गया है। मगर यहां पंखा नहीं चल रहा है। इसी तरह अन्य 73 नंबर बेड संख्या पर भी पंखा बंद मिला। जिस वजह से मरीजों को कमरे में अपना बेड इधर उधर करने को मजबूर दिखे। ताकि इस भीषण गर्मी से उन्हें राहत मिल सके। कुछ ऐसा ही अभी भी बना हुआ है। 

तीमारदारों के बैठने के लिए भी नहीं व्यवस्था
मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के अलावा उनके तीमारदारों के बैठने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। नियम है कि एक मरीज के साथ में उसने अटैंनड करने के लिए एक तीमारदार रुक सकता है। मगर अधिकतर मरीजों के बेड के पास कोई भी बेंच नहीं डाली गई। इसके अलावा उन्हें खाना खाने के लिए भी कोई सुविधा नहीं है। इसलिए उन्हें रैंप के नीचे पड़ी खाली जगह में बैठकर खाना खान पड़ रहा है। जबकि रैन बसेरे बने हुए हैं। लेकिन उन्हें हमेशा ताले लटकते रहते हैं।

शौचालय बने हैं, मगर लटक रहे हैं ताले
एमसीएच विंग में मरीजों और तीमारदारों की सुविधा के लिए शौचालय बनाए गए हैं। मगर उनमें स्टाफ द्वारा ताले लटका दिए गए हैं। वहीं एक -एक शौचालय में एचओडी और अन्य स्टाफ ने कब्जा करते हुए अपनी चिट चस्पा कर ताला लगा दिया है। जो शौचालय मरीजों की सुविधा के लिए बने हैं। उनमें भी ताले लटक रहे हैं।

एमसीएच विंग में द्वितीय तल पर बने दिव्यांग शौचालय और महिला शौचालय में ताला लटका मिला। मरीजों के कहने के बाद भी स्टाफ ताले नहीं खोलता है। सिर्फ एमसीएच विंग में भूतल पर ही सार्वजनिक रुप से शौचालय खुले हुए हैं। जिस वजह से मरीजों और तीमारदारों को आना पड़ता है।

बंद पड़ी लिफ्ट, सीढ़ियों का सहारा
एमसीएच विंग का भवन बनने के पांच माह बाद ही यह लिफ्ट खराब हो गई। जिसको आज तक ठीक नहीं कराया गया है। कोरोना काल में तीन साल इसमें कोविड वार्ड संचालित किया जाता रहा। मगर लिफ्ट ठीक नहीं कराई गई।

अब महिला अस्पताल को वहां शिफ्ट कर दिया है। लेकिन फिर भी लिफ्ट ठीक नहीं कराई गई है। कार्यदायी संस्था को कई बार पत्र जारी किया गया है। फिर लिफ्ट ठीक नहीं हो सकी है। ऐसे मे गर्भवतियों और बीमार बच्चों को लेकर परिवार वालों को सीढ़िया या रैप के सहारे पांच मंजिल तक जाना पड़ रहा है।

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