बदहाली: लाखों खर्च के बाद भी अपनी बेरूखी के आंसू बहा रहा कैप्टन मनोज पांडेय अमृत सरोवर

बदहाली: लाखों खर्च के बाद भी अपनी बेरूखी के आंसू बहा रहा कैप्टन मनोज पांडेय अमृत सरोवर

बाराबंकी, अमृत विचार। देश के लिए कारगिल में शहीद होने वाले कैप्टन मनोज पाण्डेय के नाम से बनवाया गया अमृत सरोवर अपनी बदहाली और बेरूखी के आंसू बहा रहा है। हरख ब्लाक के गढ़ी राख मऊ में कैप्टन मनोज पाण्डेय की स्मृति में बनाया गये इस सरोवर पर साल 2022 में 6 लाख 99 हजार 301 रूपये खर्च किये गए थे। सरोवर के किनारे बाउंड्री पर लगे लोहे के पिलर व तार स्थानीय प्रधान व सचिव की लापरवाही से चोर काट लें गए। शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय की स्मृति में प्रशासन द्वारा लाखों रूपये की लागत से बने अमृत सरोवर  योजना अपने अपने मूल उद्देश्य से भटक गई है।

सरोवर निर्माण के पीछे की मंशा यह थी कि स्थानीय स्तर पर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर पशु पक्षियों को पानी की सुविधा मुहैया कराई जाये और बरसात के मौसम में जल संचयन के उद्देश्य को पूरा किया जा सके। सरकार की मंशा को स्थानीय जिम्मेदारों की उदासीनता की वजह से अमलीजामा पहनाना तो दूर यथा स्थित बनाये रखने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किये जा रहे। कारगिल में देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले कैप्टन मनोज पाण्डेय के नाम का उपयोग कर सरोवर को लेकर इतनी घोर लापरवाही से आम जनता के बीच प्रशासन की खराब छवि का संदेश जा रहा है। 

सूख गए तालाब, पेयजल का संकट
मई माह की शुरुआत से ही भीषण गर्मी  ने दस्तक दे दी थी। वहीं अप्रैल में भी तापमान 42 डिग्री तक पहुंच गया। इसका सीधा असर जल स्रोतों पर देखने को मिला है। तेज चिलचिलाती धूप से जिले के सैकड़ों तालाब सूख गए हैं और धूल उड़ रही है। इससे पशु पक्षियों के सामने पेयजल संकट खड़ा हो गया है। आलम ये है कि लाखों खर्च कर बनाए गए अमृत सरोवर भी जल स्रोतों से कॉनेक्टिविटी न होने से सुख गए हैं। इससे जल संरक्षण के दावों पर पलीता लग रहा है। वहीं जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी इनमें पानी भरवाने को लेकर भी उदासीन दिख रहे हैं।

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