Kanpur: मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण के दौरान आईं आवासों में दरारें; नगर आयुक्त ने बनाई टीम, बालू व रेत की होगी जांच

Kanpur: मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण के दौरान आईं आवासों में दरारें; नगर आयुक्त ने बनाई टीम, बालू व रेत की होगी जांच

कानपुर, अमृत विचार। कचहरी परिसर में बन रही मल्टीलेवल पार्किंग का काम रुक गया है। निर्माण कार्य के दौरान बालू-रेत मिलने और पुलिस आवासों में आई दरारों को लेकर नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन ने पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। 

यह कमेटी निर्माण कार्य स्थल पर मिली बालू और रेत की जांच करने के साथ ही पुलिस आवासों की निर्माण संरचना (स्ट्रक्चरल ऑडिट) करेगी। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार अगर आवासों में निर्माण कार्य की वजह से भविष्य में दिक्कत होने की संभावना मिलती है तो आवासों को खाली कराया जायेगा।

वीआईपी रोड पर लगने वाले जाम से निजात दिलाने के लिये कचहरी परिसर में छह मंजिला मल्टीलेवल पार्किंग बनाई जानी है। 35.20 करोड़ रुपये से गंगा इंनफ्राबिल्ट प्राइवेट लिमिटेड ने काम शुरू किया है। सीएंडडीएस के परियोजना प्रबंधक सर्वेश कुमार वर्मा ने केएससीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी नगर आयुक्त शिवशरणप्पा को रिपोर्ट भेजी थी। 

जिसके आधार पर नगर आयुक्त ने डीएम राकेश सिंह को पत्र लिखकर बताया कि मिट्टी खोदते समय पुलिस विभाग के भवन व आस-पास की मिट्टी गिरने लगी है। इससे भवनों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। सुरक्षा के मद्देनजर भवनों की मजबूती की जांच  (स्ट्रक्चरल ऑडिट) जरूरी है, और जो भवन असुरक्षित हो उन्हें खाली कराया जा सके। इस पत्र के अधार पर डीएम ने जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिये थे। इसपर नगर आयुक्त ने शनिवार को पांच सदस्सीय कमेटी गठित कर दी है।

नगर आयुक्त की ओर से गठित पांच सदस्सीय कमेटी में नगर निगम मुख्य अभियंता मनीष अवस्थी, एसीएम 4, परियोजना प्रबंधक जलनिगम सर्वेश कुमार वर्मा, भवन लोक निर्माण अधिशाषी अभियंता, स्मार्ट सिटी नोडल अधिकारी आरके सिंह को शामिल किया है। आरके सिंह ने बताया कि टीम आवास कितने मजबूत हैं उसको जांचेगी इसके साथ ही जो आवास खाली कराने योग्य दिखेंगे उन्हें खाली भी कराएगी।

पहले भी जताई गई थी आशंका

पुरातत्व विभाग (एएसआई) की आपत्ति के बाद मल्टीलेवल पार्किंग के प्रस्तावित भवन को 10 मीटर पीछे हटाते हुये बनाने का फैसला लिया गया है। इससे पहले निर्माण कार्य के पास मौजूद खस्ताहाल भवनों को गिराने या स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। लेकिन, इसके बिना ही सीएंडडीएस ने कार्य शुरू कर दिया। 

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