शर्मनाक: पोस्टमार्टम कराने के नाम पर लिए जाते है डेढ़ से दो हजार रुपया, पैसे न देने पर चीर-फाड़ कर थमा दी जाती है डेड बॉडी

शर्मनाक: पोस्टमार्टम कराने के नाम पर लिए जाते है डेढ़ से दो हजार रुपया, पैसे न देने पर चीर-फाड़ कर थमा दी जाती है डेड बॉडी

हरदोई। सरकारी सिस्टम किस दर्जे तक गिर चुका है, इस बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता। इससे शर्मनाक और क्या होगा कि जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी रिश्वत का गंदा खेल खेला जा रहा है। ऐसा नहीं कि ज़िम्मेदारों को इस बारे में कुछ पता नहीं,उन्हे सब पता है,फिर भी उनके हाथ बंधे हुए है। इसकी बानगी तब देखने को मिली जब पोस्टमार्टम हाउस में लाश के पोस्टमार्टम के लिए रिश्वत मांगी गई।

पता चला कि वहां पोस्टमार्टम के लिए पहुंचने वाली लाश का पोस्टमार्टम करने से पहले वहां के कर्मचारी खुलेआम रिश्वत लेते हैं। रिश्वत नहीं देने पर पोस्टमार्टम करने से इनकार कर देते हैं या फिर सारा दिन बीतने के बाद सबसे बाद में पोस्टमार्टम कर चीर-फाड़ कर डेड बॉडी थमा दी जाती हैं।

ऐसे गंदे खेल का खुलासा तब हुआ जब सुरसा थाने के इच्छनापुर निवासी सरोज पाण्डेय की गुरुवार की रात में एक सड़क हादसे में  मौत हो गई थी। शव को पोस्टमार्टम के लिए नयागांव स्थित पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया। सरोज के घरवालों ने बताया कि पोस्टमार्टम करने के लिए वहां तैनात एक कर्मचारी ने उनसे पांच सौ रुपये मांगे। 

रुपये देने से इनकार करने पर कर्मचारियों ने पोस्टमॉर्टम करने से ही इनकार कर दिया। काफी हील-हुज्जत करने के बाद उन्ही कर्मचारियों ने करीब एक हज़ार रुपये वसूले,उसके बाद ही लाश का पोस्टमॉर्टम हो सका।दूसरा मामला कोतवाली शहर के रद्धेपुरवा निवासी संतोष पुत्र श्रीपाल का पोस्टमार्टम कराने आए उनके पुत्र शिवांशु से एक हज़ार रुपये वसूले गए। 

आत्महत्या करने वाले राजेश पुत्र छोटेलाल निवासी चिरैय्यापुरवा थाना हरियावां के पुत्र विकास व रवि से पोस्टमार्टम के नाम पर पांच सौ रुपये, राम भजन पुत्र श्रीपाल निवासी अंटवा थाना साण्डी के भाई सत्यपाल से एक हज़ार, पिहानी की सावित्री के पति अमरपाल से एक हज़ार रुपये वसूले गए। जबकि इसके अलावा भी और शवों का पोस्टमार्टम किया गया है। उन सबसे इसी तरह रिश्वत वसूली गई।

जैसा कि बताते हैं कि पोस्टमार्टम हाउस में पोस्टमार्टम के लिए डेढ़ से दो हज़ार रुपये की रिश्वत वसूली जाती है।कुछ ज़्यादा गरीब लोग होते हैं तो वे पैसे का इंतजाम नहीं कर पाते,इस वजह से गरीब डेड बॉडी का पोस्टमार्टम सबसे बाद में किया जाता है और फिर उसे ऐसे ही चीरी-फाड़ी गई डेड बॉडी थमा दी जाती है। 

ऐसा नहीं कि पोस्टमार्टम में ऐसी शर्मनाक बात का किसी ज़िम्मेदार को कुछ पता नहीं, उन्हे सब कुछ पता है‌ लेकिन फिर भी कुछ करने के लिए उनके हाथ बंधे हुए है। बारे में में जब सीएमओ डा.रोहिताश्व से जानकारी चाही गई तो उन्होंने फोन कॉल रिसीव नहीं की।

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