कानपुर में राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल बोले- लोकतंत्र के साथ चुनाव अनिवार्य है, बार-बार चुनाव होना देश के बड़ी समस्या...

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल सोमवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई सभागार में “एक राष्ट्र-एक चुनाव” विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, कुलपति प्रो. विनय पाठक ने भी गोष्ठी में संबोधित किया।

राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने कहा कि “बार-बार चुनाव होना देश के लिए एक बड़ी समस्या, एक बड़ा मुद्दा बना है। विगत 30 वर्ष में भारत में एक भी साल ऐसा नहीं गया जब चुनाव न हुआ हो। यानी लगातार 30 वर्षों से भारत में कहीं ना कहीं चुनाव होते रहते हैं। ”संगोष्ठी में उपस्थित युवाओं और छात्रों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि “जब भी देश में कहीं कोई नया परिवर्तन होता है तो उसमें छात्रों, युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।”

Sunil Bansal Kanpur 11

सुनील बंसल ने कहा कि “देश और दुनिया के इतिहास को देखें तो हमेशा परिवर्तन की शुरुआत युवाओं और छात्रों ने की है। मेरा मानना है कि भविष्य में देश की राजनीति बदलेगी और उसकी भी शुरुआत आने वाले दिनों में युवा और छात्र ही करने वाले हैं। भाजपा महामंत्री ने “एक राष्ट्र-एक चुनाव” की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि देश की आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और जहां लोकतंत्र है वहां चुनाव एक अनिवार्य हिस्सा है। ‘‘लोकतंत्र है तो चुनाव होगा।’’ सुनील बंसल ने कहा कि अगर निष्पक्ष चुनाव नहीं होंगे तो देश में लंबे समय तक लोकतंत्र नहीं चल सकता।

उन्होंने कहा “लोकतंत्र के साथ चुनाव अनिवार्य है और चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से हो, यह भी उसके लिए आवश्यक है। लेकिन आजादी के बाद से अब तक लगातार एक के बाद एक चुनाव कराते रहना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है।” उन्होंने कहा कि देश के पहले आम चुनाव में 17 करोड़ 32 लाख मतदाता थे, लेकिन 2024 में जो चुनाव हुआ उसमें 96 करोड़ से ज्यादा मतदाता हो गए।

उन्होंने कहा “बढ़ती हुई आबादी, बदलती हुई दुनिया, देश के 140 करोड़ लोगों की जनआकांक्षाएं… इन सबको ध्यान में रखकर देश में समय-समय पर बहुत सारे बदलाव हुए। खुशी की बात है कि बदलाव के क्रम में इस देश में फिर से (एक राष्ट्र-एक चुनाव की) चर्चा शुरू हुई है। देश में एक नई बहस शुरू हुई है कि क्या एक साथ सभी चुनाव करा कर समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।”

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