Kanpur: कॉर्डियोलॉजी में कॉर्डियोपल्मोनरी बॉयपास पर कार्यशाला का आयोजन; विशेषज्ञों ने दी पद्धति की जानकारी, बताए दिल की बीमारी के संकेत
कानपुर, अमृत विचार। कॉर्डियोलॉजी संस्थान में आने वाले दिल के रोगियों का इलाज आधुनिक विधि से किया जा रहा है, जिसमे कॉर्डियोपोल्मोनरी बॉयपास पद्धति भी शामिल है। इस पद्धति के उपयोग से हृदय और फेफड़ों के कार्य को अस्थायी रूप से रोककर ऑपरेशन करना संभव होता है। हृदय और फेफड़ों के कार्य मशीन संभाल लेती है। साथ ही इस मशीन की मदद से ऑपरेशन के दौरान सभी अंगों को ऑक्सीजन व न्यूट्रिशन भी पहुंचाया जाता है। मरीज का ब्लड प्रेशर कंट्रोल किया जाता है, ताकि किसी भी प्रकार की शारीरिक क्षति न हो।
रावतपुर स्थित एलपीएस कॉर्डियोलॉजी संस्थान में ऐसे कई मरीज इलाज को पहुंचते हैं, जिनको जन्मजात हृदय रोग की समस्या, हृदय वाल्व की समस्या या कोरोनरी धमनी रोग जैसी जटिल दिल की बीमारी होती है। ऐसी स्थिति में मरीजों की स्थिति जब दवा या सरल ऑपरेशन विधि से काबू में नहीं आती है तो फिर इन स्थितियों के लिए कॉर्डियोलॉजिस्ट कॉर्डियोपोल्मोनरी बॉयपास पद्धति का सहारा लेते हैं, जिसमे सहयोग कार्डियक एनेस्थिसिया विभाग द्वारा किया जाता है। कार्डियोलॉजी संस्थान के निदेशक डॉ.राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि हृदय रोग संस्थान में कॉर्डियक एनेस्थीसिया विभाग द्वारा कॉर्डियोपल्मोनरी बॉयपास पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कॉर्डियोपल्मोनरी बॉयपास पद्धति के संबंध में डॉक्टरों को जानकारी दी गई।
जब हृदय को रक्त प्रवाहित करने में समस्या होती है तो सर्जन को हृदय पर सीधे काम करने की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में कॉर्डियोपल्मोनरी बॉयपास पद्धति हृदय और फेफड़ों के कामकाज को अस्थायी रूप से संभालती है, जिससे सर्जन को हृदय पर सुरक्षित रूप से काम करने की सहूलियत मिलती है। सर्जरी के दौरान सर्जन बिना हृदय के धड़कने के काम कर सकते हैं, क्योंकि बॉयपास मशीन शरीर में रक्त का प्रवाह बनाए रखती है। सर्जरी पूरी हो जाने के बाद मशीन को धीरे-धीरे हटाया जाता है और हृदय व फेफड़े अपने कार्य को पुनः प्राप्त करते हैं। इस दौरान डॉ. उमेश्वर पाण्डेय, डॉ. नीरज कुमार, डॉ.नीरज प्रकाश, डॉ.संदीप गौतम, डॉ.नीरज त्रिपाठी, डॉ.अवधेश शर्मा, डॉ.आरएन पाण्डेय, डॉ.माधुरी प्रियदर्शी, डॉ.दीपक मालवीय, डॉ.जसविन्दर कौर कोहली आदि रहे।
दिल की बीमारी के शुरुआती संकेत
- सीने में दर्द या बेचैनी
- छाती के केंद्र में, बाएं तरफ या गर्दन, बांह या जबड़े में दर्द
- सांस लेने में परेशानी
- सांस फूलने का एहसास होना
- सामान्य से अधिक थकान या कमजोरी महसूस होना
- चक्कर आना या हल्का महसूस होने का एहसास होना
- उल्टी या मतली महसूस होना।
- बिना किसी कारण पसीना आना
संभावित लक्षण
- छाती में फड़कन
- दिल की धड़कन तेज या अनियमित महसूस होना
- पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होना
- जबड़े में दर्द या जकड़न
- हाथ या बांह में दर्द या सुन्नता
- पैरों, टखनों या पैरों में सूजन
