बरेली: श्रीराम के चरण स्पर्श से दोबारा स्त्री में परिवर्तित हुईं अहिल्या, देखिए...विलक्षण मूर्ति के अवशेष
बरेली, अमृत विचार। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के प्राचीन इतिहास एवं संस्कति विभाग के पांचाल संग्रहालय में पत्थर, टेराकोटा आदि की विभिन्न मूर्तियां समेत अन्य अवशेष संरक्षित हैं। जिन्हें देखने और समझने के लिए दूर-दराज के लोग संग्रहालय का रुख करते हैं। इन्हीं में शामिल हैं श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ अहिल्या का मूर्ति अवशेष, जो खुद में अपने दृश्य को समेटे हुए हैं। यह मूर्ति अवशेष संग्रहालय की पंडित सुरेंद्र वीथिका में संजोकर रखे गए हैं।
इसके बारे में पांचाल संग्रहालय के रिसर्च एसोसिएट डॉ हेमंत मनीषी शुक्ला बताते हैं कि संभल जनपद के चंदौसी के रहने वाले पंडित सुरेंद्र मोहन मिश्र के दो बेटे हैं। बड़े बेटे अतुल मिश्र चंदौसी नगर के इतिहासकार और कवि हैं, जिनकी एक मेडिकल फर्म है। वहीं छोटे बेटे विपिन मिश्र एक कारोबारी हैं। जिन्होंने पांचाल संग्रहालय के लिए 2019 में एक हजार दो मूर्तियां दान में दीं थी। जिनमें से सलेक्टेड मूर्तियों को संग्रहालय में डिस्प्ले किया गया। इसके बाद सितंबर 2019 में सूबे के राज्यपाल ने आनंदीबेन पटेल ने इस पंडित सुरेंद्र मोहन मिश्र वीथिका का उद्घाटन किया।
रिसर्च एसोसिएट बताते हैं कि यह गुप्तकालीन मूर्ति बेहद विलक्षण है, जो चट्टान के रूप में नजर आ रही है, वह देवी अहिल्या हैं। प्रभु श्रीराम वनवास अवधि में इस चट्टान को अपने पैरों से छू रहे हैं, जिसके बाद यह चट्टान देवी अहिल्या के रूप में परिवर्तन हो रही है। आगे बताया कि पति द्वारा शापित अहिल्या श्रीराम के चरण स्पर्श मात्र से दोबारा देवी में परिवर्तित हो रही हैं, ऐसा प्रमाणित मान्यता है।
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