हल्द्वानी: अविवाहित प्रकाश की जेब में किसका मंगलसूत्र...? बनभूलपुरा बवाल के दूसरे दिन आंवलाचौकी गेट के पास मिला था शव

हल्द्वानी: अविवाहित प्रकाश की जेब में किसका मंगलसूत्र...? बनभूलपुरा बवाल के दूसरे दिन आंवलाचौकी गेट के पास मिला था शव

हल्द्वानी, अमृत विचार। 9 फरवरी की सुबह आंवलाचौकी गेट के पास रेलवे ट्रैक पर एक युवक का शव मिला, जिसकी शिनाख्त प्रकाश सिंह के रूप में हुई। प्रकाश सिर पर तीन गोलियां लगी थीं। आशंका थी कि बनभूलपुरा हिंसा में दंगाईयों ने उसकी जान ली होगी, लेकिन रविवार को शव के पोस्टमार्टम के दौरान हैरान कर देने वाली चीज सामने आई।

नोएड से हल्द्वानी पहुंचे प्रकाश के जीजा अंकित कुमार सिंह को जब पोस्टमार्टम हाउस में पुलिस ने शव से बरामद सामान सौंपा तो उसमें एक हाथ का कड़ा, 50 रुपये का नोट, काले धागे में रुद्राक्ष का लॉकेट और एक चेन थी जो देखने को मंगलसूत्र की तरह थी, इस चेन में चरेयो के दाने भी थे।

पुलिस ने सामान अंकित के सुपुर्द किया तो उसे देखकर वह भी कुछ देर के लिए हैरान हो गए, लेकिन साले की मौत के गम में उन्होंने सामान को रख लिया। बाद अंकित को बनभूलपुरा थाने ले जाकर पुलिस ने प्रकाश का मोबाइल और पर्स भी उनके हवाले कर दिया। इसके बाद वह शव को एंबुलेंस में रखकर घर की ओर रवाना हो गए।

अब सवाल है कि प्रकाश की जेब से आखिर किसका मंगलसूत्र था और उसकी जेब में कहां से पहुंचा। जबकि प्रकाश आरा (बिहार) भोजपुर से नौकरी की तलाश में हल्द्वानी आया था। ऐसे में उसकी जेब से मंगलसूत्र का मिलना अपने आप में कई बड़े सवाल खड़े कर रहा है।

सिर पर लगी थी तीन गोलियां
पोस्टमार्टम के दौरान प्रकाश के सिर से तीन गोलियां मिलीं। एक गोली कनपटी के पास लगी थी और दो गोलियां सिर पर लगी थी। उसके माथे पर पत्थरों से रगड़ लगने के निशान थे। नाक टूटी थी और दाएं तरफ के गाल पर रगड़ के निशान थे। सूत्रों के मुताबिक प्रकाश के सिर पर जो तीन गोलियां लगी हैं वह पुलिस की बंदूक से नहीं चली हैं।

घर का इकलौता कमाऊ बेटा बनने वाला था प्रकाश
25 साल का प्रकाश अपने कंधों पर बूढ़े माता-पिता और छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हो चुका था। वह नौकरी की तलाश में आरा बिहार भोजपुर के गांव छीने से हल्द्वानी आया था। वह घर का इकलौटा कमाऊ बेटा बनने वाला था, लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था।

ट्रेन से करीब 1100 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद प्रकाश ने पहली बार हल्द्वानी में कदम रखा। लेकिन उसके कदम रखने से पहले ही हल्द्वानी हिंसा की आग में झुलस रहा था। जिसकी भेंट प्रकाश भी चढ़ गया। जवान बेटे की मौत से पिता श्याम देव सिंह (75 वर्ष) और माता इंदु देवी (70 वर्ष) अंदर से टूट गए हैं।

हल्द्वानी पहुंचे प्रकाश के जीजा अंकित कुमार ने बताया कि प्रकाश सात भाई-बहनों में इकलौटा बड़ा बेटा था। उसकी पांच बहने और एक भाई है। चार बहनों की शादी हो गई है। जबकि छोटा और बहन पढ़ाई कर रहे हैं। प्रकाश के पिता श्याम देव ने खेती किसानी कर पूरे परिवार का भरण-पोषण किया और बेटियों की शादी की।

अब उम्र होने के बाद उन्हें प्रकाश से ही उम्मीदें थी। जिन्हें पूरा करने के लिए वह घर से इतनी दूर नौकरी की तलाश में आया था। लेकिन प्रकाश की मौत से सारी उम्मीदें टूट गई हैं। अंकित ने बताया कि प्रकाश 7 फरवरी को घर से चला था। उसने अपनी बाइक रेलवे स्टेशन पर खड़ी की थी। ट्रेन से 8 फरवरी की शाम वह हल्द्वानी पहुंचा। 9 फरवरी की सुबह उसका शव मिला। जिसकी सूचना उन्हें 36 घंटे बाद दी गई। 10 फरवरी की शाम वह अपने मित्र नीरज कुमार के साथ नोएडा से बस में सवार होकर हल्द्वानी पहुंचे थे।

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