नैनीताल: तेजी से गिर रहे नैनीझील के स्वास्थ्य में आया सुधार

गौरव जोशी, नैनीताल,अमृत विचार। विश्व प्रसिद्ध नैनी झील की सेहत में अब सुधार आ रहा है। नैनीझील की पारिस्थितिकी तंत्र और भौगोलिक संरचना पर लंबे समय से अध्ययन कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक आशुतोष मिश्रा ने बताया कि पंतनगर विवि के द्वारा हर 15 दिन के अंतराल में झील के पानी की गुणवत्ता जांची जाती है।
विवि द्वारा की जा रही रिसर्च के तहत पानी की गुणवत्ता में पहले की अपेक्षा 80 प्रतिशत सुधार दर्ज किया गया है। जहां पहले झील में ऑक्सीजन की मात्रा 18 ग्राम प्रति लीटर थी वहीं अब वो 8 ग्राम प्रति लीटर है। जबकि पानी का पीएच लेवल 8.2 प्रति ग्राम और ट्रांसपेरेंसी 140 प्रति लीटर है जो नैनी झील की संरचना के लिए शुभ संकेत हैं।
पानी के इन पैरामीटर के साथ-साथ पानी में नाइट्रेट, फास्फोरस, फाईटोपीलंटन, ज्योपिलंटन की मात्रा में तेजी से सुधार हो रहा है। साथ ही रिसर्च के तहत नैनीझील के लिए खतरनाक साबित हो रही मछलियों को झील से निकालने का काम किया जा रहा है। ताकि नैनीझील के अस्तित्व को बचाया जा सके।
अभी जारी रहेगा नैनीझील में ऑक्सीजन डालने का काम
झील में अध्ययन कर रहे पंतनगर विवि के वैज्ञानिक आशुतोष बताते हैं कि नैनीझील की तलहटी में ऑक्सीजन खत्म होने से झील पर खतरा मंडरा रहा था। जिसको देखते हुए पंतनगर विवि और जिला विकास प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में झील को कृत्रिम सांसें देने के लिए लेक एरिएशन योजना शुरू की गई ताकि झील की तलहटी में ऑक्सीजन बनी रही।
योजना के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने नैनीताल दौरे के दौरान करीब 98 करोड़ का बजट जारी कर झील को सुरक्षित रखने की नींव रखी और झील के अध्ययन की जिम्मेदारी पंतनगर विवि को दी गई जिसके बाद से पंतनगर विवि के वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं।