World Cancer Day: सादा पान मसाला, छाली खाने से भी हो सकता है कैंसर

बरेली, अमृत विचार। एक समय कैंसर को लाइलाज बीमारी माना जाता था, लेकिन वर्तमान में चिकित्सा जगत में आधुनिक शोध, उपकरण, दवाओं से अब कैंसर लाइलाज नहीं रह गया है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मरीज का प्रारंभिक अवस्था में ही इलाज शुरू हो जाए। यह तभी संभव है, जब सही समय पर जांच होगी। इसके लिए जागरूक होने की जरूरत है।
कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार अधिकांश मामलों में धूम्रपान, गुटखा, तंबाकू का सेवन कैंसर की वजह होता है। सादा पान मसाला और छाली भी खाना कई बार कैंसर की जड़ बन जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार मुंह और गले के कैंसर के केस सबसे ज्यादा हैं। युवा भी इस कैंसर के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। दूसरा नंबर पर स्तन और गर्भाशय में कैंसर के मामलों का है। कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक पहले 40 से 60 आयु वर्ग के लोग ज्यादा कैंसर की चपेट में आते थे, मगर वर्तमान इस उम्र में कमी देखने को मिली है। अब कम उम्र में ही लोग इसकी जद में आ रहे हैं।
बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के ऑन्कोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अर्जुन अग्रवाल के अनुसार कैंसर से डरने की नहीं बल्कि जागरूक होने की जरूरत है। पुरुषों में गले-मुंह और महिलाओं में गर्भाशय, पित्ताशय और स्तन कैंसर के केस ज्यादा हैं। सामान्य लक्षण जैसे सूजन, अल्सर, रक्तस्राव, वजन घटना आदि हैं, जो दिखते ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। रोहिलखंड कैंसर संस्थान में रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी के माध्यम से गंभीर कैंसर का इलाज संभव है।
वरिष्ठ कैंसर पैथोलॉजिस्ट डॉ. चीना गर्ग ने बताया कि कैंसर सेल की खोज के दौरान पैथोलॉजी का अहम योगदान रहता है। इसमें एफएनएसी, बायोप्सी, इम्यूनोहिस्ट्रोकैमिस्ट्री, फ्रोजन सेक्शन जांच हैं, इस तरह की पैथोलॉजी जांचों को लेकर भी कैंसर सेल की पुष्टि की जा सकती है। डब्ल्यूएचओ क्लासीफिकेशन के तहत ट्यूमर टाइप, कैंसर का ग्रेड, ट्यूमर नोड मेटा स्टेसिस के तहत ही रिपोर्ट दी जाती है, इससे मरीज किसी भी राज्य में अपनी मेडिकल हिस्ट्री को चिकित्सक के साथ साझा कर सकता है।
डॉ. आमिर मालिक सैफी का कहना है कि कैंसर के अधिकांश मामले तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट के पहुंचते हैं।इसके साथ ही सादा पान मसाला खाना भी कई बार कैंसर की जड़ बनता है। इसके साथ ही छाली वाले उत्पादों से भी लोगों को जागरूक होना चाहिए। कैंसर के लक्षण होने पर फौरन विशेषज्ञ की सलाह लें। इसमें किसी तरह की लापरवाही न बरतें।
डॉ. अंकित कुमार के अनुसार कैंसर का उपचार अब संभव है, इसके लिए पीईटी-स्कैन के तहत शरीर के किस भाग में कैंसर सेल मौजूद हैं, उनको देखा जाता है। इसमें स्कैनिंग के दौरान समय-समय पर शरीर पर दवाई के असर, पूरी तरह कैंसर सेल के समाप्त होने की जानकारी की जाती है, जिससे मरीज के स्वास्थ्य की सही जानकारी मिलती रहती है।
डॉ. लक्ष्मण पांडेय ने बताया कि कैंसर रोग किस स्टेज पर पहुंच चुका है, उसपर निर्भर करता है कि वह कितना खतरनाक है। वैसे तो लीवर और ईएमएल कैंसर को सबसे घातक माना गया है। लक्षण की पहचान समय से हो जाए तो उपचार आसानी से हो सकता है, इसके लिए सजग रहने की जरूरत है। कैंसर के लक्षणों के बारे में बात करनी चाहिए।
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि मुंह, नाक, सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इसकी बड़ी वजह गुटखा, पान, मसाला, धूम्रपान है। इसके साथ ही बत्तीसी के इस्तेमाल करने वाले लोगों को दांत के घाव से भी कैंसर के मामले सामने आते हैं। युवा भी कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। तेजी से इनकी संख्या बढ़ रही है।
ये भी पढे़ं- बरेली: जंक्शन पर एक साल बाद भी एसी मेंटीनेंश शेड का काम नहीं हुआ शुरू