सुलतानपुर: फावड़ा और झाड़ू की जगह हाथ में माउस व फाइलें, बाबू बन दफ्तर का काम निपटा रहे सफाईकर्मी

गांव में बजबजा रही नालियां, गुरुजी खुद कर रहे विद्यालयों की सफाई

सुलतानपुर: फावड़ा और झाड़ू की जगह हाथ में माउस व फाइलें, बाबू बन दफ्तर का काम निपटा रहे सफाईकर्मी

मनोज मिश्रा/ सुलतानपुर, अमृत विचार। जिले की 979 ग्राम पंचायतों को साफ और स्वच्छ रखने के लिए नियुक्त 1713 सफाई कर्मचारियों में 400 से अधिक सफाई कर्मी जिला और ब्लॉक कार्यालयों में संबद्ध हैं। कोई कंप्यूटर आपरेटर है तो कोई डाक का काम देख रहा है। अधिकारियों की गाड़ी चलाने के साथ ही कई कर्मचारी आवासों में खाना बनाने का काम कर रहे हैं।

जो गांवों में नियुक्त हैं, उनमें 20 फीसदी बीए, एमए, एमएससी पास होने के कारण सफाई करने में शर्म महसूस करते हैं। इसके चलते उन्होंने गांव की सफाई का कार्य स्थानीय कर्मचारियों को पांच से 10 हजार रुपये मासिक में ठेके पर दे रखा है। कुछ ने अपनी ड्यूटी ब्लाक स्तर पर सफाई कर्मियों की टोली में लगवा ली है। ताकि, उन्हें कभी कभार ही काम पर जाना पड़े। 

ऐसे में कई गांवों में तो सफाई कर्मचारी ही नहीं हैं। पांच हजार की आबादी वाली बड़ी ग्राम पंचायतों में दो के स्थान पर एक ही काम कर रहा है। आलम यह है कि गांव गंदगी और नालियां बजबजा रही है। बारिश में जगह-जगह जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। नाला नालियों का पानी सड़कों पर बह रहा है। इससे संक्रामक बीमारियां फैलने की आशंका बढ़ रही है।

गांवों से नदारद सैकड़ों सफाई कर्मी

जनपद की 979 ग्राम पंचायतों में 1713 सफाई कर्मचारी नियुक्त है। अमूमन 200 कर्मचारी जिला स्तरीय कार्यालयों कलक्ट्रेट, विकास भवन व अधिकारियों के आवासों में लगे हैं। इतने ही कर्मचारी ब्लॉकों में संबद्ध हैं। कुछ महीने पहले जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला व तहसील, ब्लाक स्तरीय कार्यालयों में संबद्ध सफाई कर्मचारियों को मूल तैनाती स्थान पर भेज दिया गया था। लेकिन कुछ ही दिन बाद यह सभी कर्मचारी पुनरू अधिकारियों से सांठगांठ कर जिला व तहसील स्तर के कार्यालयों में संबद्ध हो गए। 

अफसर नहीं मान रहे गांवों में फैली है गंदगी

जिले की 979 ग्राम पंचायतों की साफ-सफाई के लिए 1727 सफाई कर्मचारी के पद स्वीकृत हैं। जिनमें से 68 सफाई कर्मचारी की मौत हो चुकी है। अधिकारी चाहें जितने दावे करें कि सफाई कर्मचारी जिला, तहसील व ब्लाक मुख्यालयों में संबद्ध नहीं हैं, लेकिन बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी गांवों से नदारद हैं।

ऐसे में गांवों की सफाई व्यवस्था धड़ाम पड़ी है। जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। नालियां मलबा से बजबजा रही हैं। बारिश होने  पर गंदा पानी लोगों के घरों में घुस जाता है। जलभराव कच्चे मकानों के लिए खतरा बन गया है। करीब 500 से अधिक सफाई कर्मी जिला व ब्लॉक कार्यालयों से संबद्ध हैं। जिला पंचायत राज अधिकारी इस बात से इनकार करते है।

प्रधानों और सचिवों से साठगांठ, ठेके पर करा रहे कार्य

सफाई कर्मचारी अधिकारियों के यहां खाना बनाने, वाहन चलाने और साफ-सफाई का काम कर रहे हैं। इसके अलावा तमाम कर्मचारी जो पढ़े लिखे हैं और वह सफाई करने में शर्म महसूस करते हैं, ग्राम पंचायतों में प्रधान व सचिवों से सेटिंग बनाए हैं। गांव के ही सफाई करने वाले लोगों को पांच हजार देकर ठेके पर काम करा रहे हैं। विभागीय अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मौन हैं। इन्हें पंचायती राज विभाग के बड़े लोगों का भी संरक्षण भी प्राप्त है।

जब कार्यालय पर अधिक काम रहता है तो सफाई कर्मियों का सहयोग लिया जाता है। उसके बाद फिर फील्ड में जाने के लिए कहा जाता है। यदि किसी गांव में समस्या होगी तो उसे दूर कराया जाएगा...,अभिषेक शुक्ला, जिला पंचायत राज अधिकारी।

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